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मानसिक तनाव कम करने में गीता की भूमिका महत्वपूर्ण : स्वामी ज्ञानानंद

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में छात्र प्रेरक कार्यक्रम
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कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में स्वामी ज्ञानानंद के साथ मौजूद कुलपति सोमनाथ सचदेवा व विद्यार्थी। -हप्र
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आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में बढ़ते मानसिक तनाव को कम करने में गीता की महत्वपूर्ण भूमिका है। हम जहां भी रहें, वहां मुस्कुराना चाहिए। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय युवाओं में गीता अध्ययन का सपना साकार कर रहा है जिससे सुखद अनुभूति हो रही है। ये विचार स्वामी ज्ञानानंद ने बुधवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के यूआईईटी संस्थान में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा संस्थान नई दिल्ली के मॉडल अनुसार छात्र प्रेरक कार्यक्रम के समापन पर बतौर मुख्यातिथि व्यक्त किए। यह कार्यक्रम आईआईएसएच और सेंटर ऑफ़ डिस्टेंस ऑनलाइन एजुकेशन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया। प्रो. रीटा दलाल ने बीए इन गीता का पोस्टर व सेंटर ऑफ़ ऑनलाइन डिस्टेंस एजुकेशन की निदेशक प्रो. मंजुला चौधरी ने पीजी डिप्लोमा इन भगवत गीता का पोस्टर लॉन्च करवाया।

स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि गीता की प्रेरणाओं को अपने व्यवहार में डालना चाहिए जिससे उपलब्धियां पाने में सफलता अर्जित होती है। गीता भेदभाव, ऊंच-नीच, जाति-पाति का नहीं बल्कि साझा प्रयास सिखाती है। गीता अच्छा इंसान बनने की सीख देती है। आज के परिपेक्ष्य में भारत के प्रधानमंत्री ने गीता के ज्ञान से ओत-प्रोत होकर ट्रंप टैरिफ को चुनौती दी । गीता ज्ञान से ही मनुष्य भद्रपुरुष बनता है। गीता धार्मिक पाठ्यपुस्तक नहीं जीवन जीने की कला है।

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कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि गीता कोई पाठ्य पुस्तक नहीं बल्कि जीवन मूल्यों का मार्गदर्शन है उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति में समाहित सभी प्रकल्पों को ध्यान में रखते हुए भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति के साथ विद्यार्थियों को शिक्षण के साथ जोड़ रही है इसलिए जिओ गीता संस्थानम के साथ जुड़कर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में स्नातक इन भगवत गीता और पीजी डिप्लोमा इन भगवद्गीता ऑनलइन के कोर्स शुरू कर रहे हैं। इस मौके पर प्रो. मंजूला चौधरी, यूआईईटी संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील ढींगरा व डॉ. विवेक कोहली भी मौजूद रहे।

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