शिल्प, आध्यात्म और संस्कृति का अद्भुत संगम बना गीता महोत्सव
- ब्रह्मसरोवर तट पर कहीं जंगम-जोगी तो कहीं नगाड़ा-बीन व सारंगी की धुन पर झूम रहे पर्यटक
अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव में प्रदेश के कोने-कोने से पंहुचे वाद्य यंत्रों की धुनों ने ब्रह्मसरोवर तट की फिजा बदल दी है। सरोवर के तट पर कहीं जंगम-जोगी, कहीं नगाड़ा-बीन और कहीं सारंगी की धुनों को सुनकर पर्यटक मस्ती से झूम रहे है, तो कहीं रंग-बिरंगे, चमकते परिधानों में सजे कलाकारों संग सेल्फी लेने का क्रेज भी पर्यटकों के सिर चढ़कर बोल रहा है। ये सभी कलाकार सरोवर के चारों तटों पर घूम-घूम कर पर्यटकों का मनोरंजन करने का काम कर रहे हैं। इसके साथ-साथ ब्रह्मसरोवर पर नगाड़ा व बीन की पार्टियां घूम-घूम कर लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर रही है। इस बार गीता महोत्सव शिल्प, आध्यात्म और संस्कृति का अद्भुत संगम बन गया है।
महोत्सव में देश के विभिन्न प्रदेशों से आए शिल्पकारों एवं विभिन्न प्रकार के व्यवसाय करने वाले व्यक्तियों ने शिल्प व सरस मेला में विभिन्न प्रकार के सामान के स्टाल लगाए हुए हैं। महोत्सव में हरियाणा पवेलियन सजाया गया है, जो कला, संस्कृति और स्वदेशी उद्यम का एक जीवंत केंद्र बन गया है। हरियाणा कला परिषद द्वारा कुरुक्षेत्र 48 कोस भूमि में स्थित कुरुक्षेत्र व कैथल के विभिन्न तीर्थों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन से प्रदेश की कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ-साथ गीता महोत्सव का व्यापक प्रचार किया जा रहा है।
जनसंपर्क विभाग की ओर से गीता जयंती महोत्सव पर ब्रह्मसरोवर स्थित पुरुषोत्तमपुरा बाग में एक भव्य और ज्ञानवर्धक प्रदर्शनी का लगाई गई है। महोत्सव में आने वाले शिल्पकार अपना स्वयं का रोजगार स्थापित करके महोत्सव में आने वाले लोगों के लिए स्वरोजगार प्रेरक बन रहे हैं। वे अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में ब्रह्म सरोवर के तट पर अपने मिट्टी के बर्तनों को बेच ही नहीं रहे हैं बल्कि दूसरों को मिट्टी के बर्तन बनाना सिखाकर इस कला में पारखी बना रहे है। महोत्सव परिसर में मध्य प्रदेश की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करने वाला एक भव्य मध्य प्रदेश पवेलियन स्थापित किया गया है। यह पवेलियन न केवल राज्य की मनमोहक सांस्कृतिक और कलात्मक झलक प्रस्तुत कर रहा है, बल्कि यहां लगाए गए व्यंजन स्टाल पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बन गए है।
