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कैदियों व बंदियों के बनाए फर्नीचर, गोहाना के जलेब ने किया आकर्षित

कपाल मोचन मेला : दूसरे दिन भारी संख्या में उमड़े श्रद्धालु
यमुनानगर में कपाल मोचन मेले के दौरान रात को लिया गया चित्र। -हप्र
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कपाल मोचन मेले में आज दूसरे दिन भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। मुख्य स्नान कार्तिक पूर्णिमा पर 5 नवंबर को होगा। मेले में कई तरह के नजारे देखने को मिल रहे हैं। कैदियों व बंदियों द्वारा तैयार िकया गया फर्नीचर और गोहाना के देसी घी के जलेब लोगों को काफी आकर्षित कर रहे हैं।

इस स्टॉल पर बलजीत ने बताया कि उन्होंने 30 रुपये महीने की नौकरी पर जलेबी बनानी सीखी थी, जलेबी बनाने का जुनून इतना बढ़ गया कि 1980 से उन्होंने अपना जलेबी बनाने का काम शुरू कर दिया जो बाद में जलेबी से गोहाना के जलेब के नाम से पूरे भारत में मशहूर हो गया। उन्होंने बताया कि कपाल मोचन मेले में वह कई सालों से आ रहे है।

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वहीं कपाल मोचन मेले में जहां श्रद्धालु दूर-दराज से पवित्र सरोवरों में स्नान करने तथा अपनी मनचाही मुराद मांगने आते हैं, वहीं श्रद्धालु खरीदारी भी करते हैं तथा खरीदारी करने के बाद गोहाना के शुद्ध देसी घी के जलेब खाना नहीं भूलते।

उन्होंने बताया कि इस साल मेले में उनके साथ जलेबी बनाने वाले 8 कलाकार आए हैं। मेले में लगी प्रदर्शनी में जिला यमुनानगर कारागार से कैदियों द्वारा बनाया गया फर्नीचर और आयुर्वेदिक प्रोडक्ट भी मुख्य आकर्षण का केंद्र बने हुए है। कैदियों द्वारा बनाए गए फर्नीचर में आयुर्वेदिक प्रोडक्ट को श्रद्धालुओं ने जमकर सराहा और उसकी खरीदरी की। कैदियों द्वारा कुर्सी, सोफा सेट, स्टूल, अलमारी, झूले आदि बहुत ही सुंदर तरीके से कारीगरी पेश करते हुए बनाये गये।

इसके साथ ही कैदियों ने जिला कारागार में आयुर्वेदिक प्रोडक्ट भी तैयार किए है। एलोवेरा जैल लोगों ने काफी पसंद किया है। जैल बनाने के लिए जेल के अंदर ही मशीन लगी हुई है।

आस्था का केंद्र

लाखों लोगों की आस्था का केंद्र मेला कपाल मोचन जहां पर लोग अपनी अपनी मन्नत मांगने के लिए आते हैं और मन्नत पूरी होने के बाद पुनः आकर यहां माथा टेकते हैं। मेला में ऐतिहासिक तीन सरोवरो में एक सरोवर सुराजकुंड जहां पर संतान प्राप्ति के लिए लोग मन्नत मानते हैं और जहां कदम के पेड़ को धागा बांधते हैं। दीपक जलाते हैं और स्नान करते हैं। कहते हैं जहां पर माता कुंती ने तपस्या की और कर्ण की प्राप्ति हुई थी। सूरजकुंड सरोवर जहां सूर्य के ग्रहण का कोई असर नहीं होता, वहीं यहां पर लोग सेहरा भी लेकर आते हैं जिन युवक, युवतियों की शादी नहीं होती उनके लिए जहां सेहरा बांदा जाता है, बच्चा प्राप्ति के लिए धागा बांधा जाता है।

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