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उजबक राजा को चूना लगा गए विदेशी ठग, विदेशी चकाचौंध ने कराई किरकिरी

नाटक उजबक राजा के मंचन में कुरूक्षेत्र के कलाकारों ने दिखाए अभिनय कौशल आधुनिकता के समय में युवा पीढ़ी विदेशी संस्कृति को अपनाने से परहेज नहीं करती, जिससे न केवल स्वदेशी रोजगार पर असर पड़ता है, बल्कि देश का...
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नाटक उजबक राजा के मंचन में कुरूक्षेत्र के कलाकारों ने दिखाए अभिनय कौशल

आधुनिकता के समय में युवा पीढ़ी विदेशी संस्कृति को अपनाने से परहेज नहीं करती, जिससे न केवल स्वदेशी रोजगार पर असर पड़ता है, बल्कि देश का भविष्य भी खतरे में नजर आता है। ऐसे में युवा वर्ग को स्वदेशी के प्रति जागरूक करने का सबसे उत्तम ढंग नाटक है, जिसमें दर्शाए हुए विदेशी निवेश के परिणाम युवाओं को जगाने में सहायक सिद्ध होंगे। ये कहना था डीएवी स्कूल की प्राचार्या गीतिका जसूजा का।

वे शनिवार को प्रेरणा वृद्ध आश्रम में मंचित हास्य नाटक उजबक राजा के मंचन के दौरान मुख्यातिथि के रूप में दर्शकों को संबोधित कर रही थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुवि के हिन्दी विभाग के प्रोफेसर डॉ. अजायब सिंह ने की। वहीं, विशिष्ट अतिथि शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, कृष्णा नगर गामड़ी के चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रदीप सिंगला रहे। कार्यक्रम से पूर्व प्रेरणा संस्थान के संस्थापक डॉ. जय भगवान सिंगला ने अतिथियों का अभिनंदन पुष्पगुच्छ भेंट कर किया।

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सभी का स्वागत करते हुए सिंगला ने कहा कि रंगमंच समाज को आइना दिखाने का कार्य करता है। रंगमंच के कलाकार जब अपने अभिनय के माध्यम से समाज में फैली बुराइयों तथा उनके समाधान को लोगों से सांझा करते हैं तो आम आदमी सोचने पर मजबूर हो जाता है। अलकनंदन द्वारा लिखित एवं विकास शर्मा के निर्देशन में मंचित इस नाटक में एक दर्जन से अधिक कलाकारों ने भाग लिया। हास्य रस से भरपूर नाटक उजबक राजा में कलाकारों ने स्वदेशी अपनाओ का सुंदर संदेश दिया।

नाटक में राजा रेशमलाल का किरदार सूर्यांश चावला, मंत्री हितेश जंगम, रानी रचना अरोड़ा, देशबंधू ध्रुवम गोयल, ठग ऋत्विक अरोड़ा तथा नव्या मेहता बने। नौकरानियों का किरदार वेदिता तथा कनिका शर्मा, दर्जी गौरव दीपक जांगड़ा व रोहित तथा चौबदार का किरदार प्रिंयाशु बंसल ने निभाया। संगीत संचालन नाटक निर्देशक विकास शर्मा द्वारा किया गया।

नाटक के बाद डॉ. अजायब सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि जब राजा ऐसा हो तो इस तरह की स्थितियां पैदा होना स्वाभाविक है। नाटक आज की परिस्थितियों को बड़े संजीदा तरीके से उल्लेखित करता है। आज जिस आभासी दुनियां में हम जी रहे हैं, वह बेहद चिंताजनक एवं भयावह है। कार्यक्रम के अंत में प्रेरणा के संस्थापक डॉ जयभगवान सिंगला ने अतिथियों को अंगवस्त्र एवं तुलसी का पौधा भेंट कर उन्हें सम्मानित किया।

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