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देश में पहली बार क्लोन गाय से आईवीएफ तकनीक से जन्मा बछड़ा

सिर्फ 39 महीनों में दो पीढ़ियां..
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रमेश सरोए/ हप्र

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करनाल, 15 जुलाई

आईसीएआर–राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) करनाल ने देश में पशु जैवप्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। संस्थान ने पहली बार क्लोन गाय से प्राप्त अंडाणुओं का उपयोग कर आईवीएफ तकनीक द्वारा एक गिर बछड़े का जन्म कराया है। इस उपलब्धि के साथ भारत में क्लोन गाय से ओपीयू-आईवीएफ तकनीक के ज़रिए बछड़े का जन्म कराने वाला एनडीआरआई पहला संस्थान बन गया है।

यह बछड़ा एक स्वस्थ गिर नस्ल का है, जो ‘गंगा' नामक क्लोन गिर गाय से प्राप्त अंडाणुओं से बना है। गंगा को 16 मार्च, 2023 को एनडीआरआई की टीम ने हैंड मेड क्लोनिंग तकनीक से विकसित किया था। गंगा ने सामान्य वृद्धि दिखाई और सिर्फ 18 महीने की उम्र में यौवन प्राप्त कर लिया। इस उम्र में गंगा से ओवमपिकअप (ओपीयू) तकनीक से अंडाणु एकत्र किए गए।

इन अंडाणुओं को इन विट्रो परिपक्व कर, श्रेष्ठ गिर सांड के सीमेन से निषेचित किया गया और विकसित भ्रूण को साहिवाल नस्ल की सरोगेट मां में प्रत्यारोपित किया गया। पूर्ण अवधि के बाद स्वस्थ गिर बछड़े का जन्म हुआ। इस सफलता के साथ, गिर नस्ल की तीन पीढ़ियां, मूल डोनर गाय, गंगा (क्लोन) और अब यह नवजात बछड़ा सिर्फ 39 महीनों में तैयार की गईं जबकि पारंपरिक पद्धतियों से इसमें सामान्यतः 5 से 7 वर्ष (60-84 महीने) का समय लगता। यह एक नई युग की शुरुआत है, जिसमें श्रेष्ठ आनुवंशिक पशुओं की तेज़ी से वृद्धि संभव हो सकेगी। ऐतिहासिक प्रयोग को सफल बनाने वाली वैज्ञानिकों की टीम में डॉ. मनोज कुमार सिंह, रंजीत वर्मा, कार्तिकेय पटेल, प्रियांका सिंह, नितिन त्यागी और डॉ. नरेश सेलोकर शामिल हैं।

अधिक दूध उत्पादन के लिए कारगर

गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर के कुलपति डॉ. एमएस चौहान के अनुसार, भारत में 145 मिलियन से अधिक दुधारू गायें हैं, लेकिन प्रति पशु दूध उत्पादन कम है। ऐसे में ओपीयू-आईवीएफ तकनीक से श्रेष्ठ नस्ल के पशुओं की तेज़ी से संख्या बढ़ाई जा सकती है। अंडाणु बिना शल्य क्रिया के बार-बार (सप्ताह में दो बार तक) लिए जा सकते हैं। युवा, बाँझ या गर्भवती गायों से भी अंडाणु लिए जा सकते हैं। एक डोनर से कई भ्रूण प्राप्त किए जा सकते हैं। सैंटेड या उच्च गुणवत्ता वाले सीमेन का उपयोग संभव एआई (कृत्रिम गर्भाधान) कार्यक्रमों के लिए श्रेष्ठ ब्रीडिंग बुल्स तैयार किए जा सकते हैं।

संस्थान में स्वदेशी नस्लों के सुधार में अग्रणी

2012 : भारत का पहला ओपीयू-आईवीएफ साहिवाल बछड़ा 'होलीश्

2023 : भारत की पहली क्लोन गिर गाय 'गंगा'

2025 : क्लोन गिर गाय से भारत का पहला ओपीयू-आईवीएफ बछड़ा

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