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महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विवि का पहला दीक्षांत समारोह, 527 को प्रदान की उपाधियां

ललित शर्मा/हप्र कैथल, 19 मार्च आरकेएसडी कॉलेज के सभागार में बुधवार को महर्षि संस्कृत विश्वविद्यालय, मूंदड़ी का प्रथम दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल एवं महर्षि संस्कृत विश्वविद्यालय मूंदड़ी के कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय ने 527 विद्यार्थियों को स्नातक...
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कैथल स्थित आरकेएसडी कॉलेज में आयोजित समारोह में ‘कपिष्ठल का इतिहास’ पुस्तक का विमोचन करते राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय। -हप्र
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ललित शर्मा/हप्र

कैथल, 19 मार्च

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आरकेएसडी कॉलेज के सभागार में बुधवार को महर्षि संस्कृत विश्वविद्यालय, मूंदड़ी का प्रथम दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल एवं महर्षि संस्कृत विश्वविद्यालय मूंदड़ी के कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय ने 527 विद्यार्थियों को स्नातक व स्नातकोत्तर की डिग्री प्रदान की।  युवाओं को सफलता का मूलमंत्र देते हुए राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि विद्यार्थी अपने जीवन में तकनीक, आविष्कार व अनुसंधान में दक्षता प्राप्त कर सफलता हासिल करें। उन्होंने संस्कृत के महत्व को बताते हुए कहा कि भारत में लगभग सभी भाषाओं का मूल संस्कृत भाषा में है। यह हर्ष का विषय है कि अब संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार बढ़ रहा है। इस अवसर पर संस्कृत विश्वविद्यालय मूंदड़ी के विद्वानों ने दीक्षांत समारोह में कई पुस्तकों का विमोचन करवाया।  राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय ने कहा कि संस्कृत भाषा ज्ञान का भंडार है। जो देश के लिए बहुत उपयोगी है। युवा आज केवल नौकरी के पीछे न भागें बल्कि संकल्प लें कि वे नौकरी देने वाले बनेंगे। स्वयं का उदहारण देते हुए उन्होंने ने कहा कि वे सामान्य घर से आते हैं, लेकिन उनकी माता के अधिक से अधिक पढ़ाई करवाने के संकल्प की बदौलत वे आज राज्यपाल के पद पर हैं। जीवन में शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें भी जितना अधिक गुणवता पूर्वक उच्च शिक्षा होगी, देश उतना ही तरक्की करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में पहली बार नई शिक्षा नीति में हिंदी व मातृभाषा में कोर्स सीखाने की पहली बार शुरूआत की गई है। पहली बार हिंदी व मातृभाषा में भी सारे कोर्स कर सकेंगे, ऐसा दिन भी आने वाला है। हरियाणा सरकार ने भी मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के फैसले अनुसार शिक्षा के लिए बजट में महत्वपूर्ण प्रावधान किए हैं। संस्कृत जितना आगे बढ़ेगी, देश उतना ही आगे बढ़ेगा। समारोह में हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय महेन्द्रगढ़ के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार तथा सारस्वत अतिथि के रूप में सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, गुजरात के कुलपति प्रो. सुकांत कुमार सेनापित उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रमेश चन्द्र भारद्वाज ने राज्यपाल एवं सभी सम्मानित अतिथियों का स्वागत किया।

38 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक

यह विश्वविद्यालय का प्रथम दीक्षांत समारोह रहा, जिसमें वर्ष 2019 से 2024 के दौरान सभी परीक्षाओं में उत्तीर्ण विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गई। कुल 527 विद्यार्थियों में 131 स्नातक/ शास्त्री, बीए और 396 स्नातकोत्तर में आचार्य, एमए की परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके विद्यार्थी शामिल रहे। इस अवसर पर 38 सर्वोत्कृष्ट विद्यार्थियों को उनके उत्कृष्ट शैक्षिक प्रदर्शन के लिए स्वर्ण पदक से भी सम्मानित किया गया।

कपिष्ठाल का इतिहास पुस्तक का विमोचन

राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय ने विश्वविद्यालय द्वारा पांच पुस्तकों व एक शोधपत्र का विमोचन किया और कहा कि इन पुस्तकों में समाहित ज्ञान देश को आगे ले जाएगा। राज्यपाल ने स्व. डा. दामोदर वासिष्ठï द्वारा लिखित पुस्तक कपिष्ठाल का इतिहास का भी विमोचन किया। उन्होंने संस्थान द्वारा चलाए गए अभियान व विद्यार्थियों के कल्याण की योजनाओं की सराहना की। साथ ही कहा कि दीक्षांत समारोह के दौरान 180 छात्राओं डिग्री मिली है, यह महिला उत्थान का सराहनीय कार्य है। यह भी हर्ष का विषय है कि जिले का नेतृत्व एक महिला अधिकारी कर रही हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय अधिकारियों का आह्वान किया कि अगले साल दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय परिसर में ही आयोजित किया जाए। इसके लिए 40 करोड़ की लागत से बनाए जा रहे भवन का निर्माण कार्य जल्द पूरा किया जाए।

रेडक्रॉस के प्रदेश महासचिव के आवास पहुंचे राज्यपाल

रेडक्रॉस के राज्य महासचिव डा. मुकेश अग्रवाल के परिजनों से मिलते हुए राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय। -हप्र

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय सेक्टर 19 स्थित रेडक्रॉस के राज्य महासचिव डाॅ. मुकेश अग्रवाल के आवास पर पहुंचें। डाॅ. मुकेश अग्रवाल ने परिवार व जिले के गणमान्य लोगों सहित उनका स्वागत किया। इस अवसर पर आरकेएसडी प्रबंधक समिति से श्याम बंसल, डा. अशोक गर्ग, डा. राजेन्द्र ठकराल, नप पूर्व चेयरमैन यशपाल प्रजापति, चंद्रगुप्त गोयल, सुरेश गर्ग नोच, डा. जितेंद्र ठुकराल, डाॅ. प्रदीप शर्मा मौजूद रहे।

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