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मल्चिंग तकनीक से प्याज की खेती करेंगे पानीपत के किसान

ड्रिप सिस्टम से सिंचाई करने से होगी पानी की बचत बागवानी विभाग देगा अनुदान पानीपत के किसान अभी परंपरागत तरीके से प्याज की खेती करते हैं। लेकिन प्याज की पौध की रोपाई व खरपतवारों को निकालने के लिये निराई...

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बागवानी विभाग के सीईवी घरौंडा केंद्र में मल्चिंग तकनीक से उगाये गये प्याज। (फाईल फोटो)
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ड्रिप सिस्टम से सिंचाई करने से होगी पानी की बचत

बागवानी विभाग देगा अनुदान

पानीपत के किसान अभी परंपरागत तरीके से प्याज की खेती करते हैं। लेकिन प्याज की पौध की रोपाई व खरपतवारों को निकालने के लिये निराई गुडाई में मजदूरों का खर्च ज्यादा होने, कई बार बेमौसमी बारिश से प्याज की फसल का खराब होना और प्याज की क्वालिटी अच्छी न होने से भाव कम मिलना सहित कई कारणों के चलते अब किसानों का प्याज की खेती से मोह भंग हो रहा है। बागवानी विभाग अब किसानों की इन्हीं समस्याओं का समाधान व जिले में प्याज का रकबा बढ़ाने को लेकर आगे आया है। जिले के कई किसान अब सब्जी उत्कृष्टता केंद्र (सीईवी) घरौंडा की तर्ज पर मल्चिंग तकनीक से प्याज की खेती करेंगे।

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मल्चिंग तकनीक में खेत में बैड बनाकर उस पर प्लास्टिक बिछाई जाती है और उसमें छेद करके प्याज की पौध को रोपित करते हैं। बागवानी विभाग प्याज सहित लहसुन, हल्दी व धनिया आदि की खेती पर 40 से 50 फीसदी अनुदान देता है। मल्चिंग से खेत में खरपतवार कम होता है और किसानों का खरपतवार को निकालने के लिये मजदूरों का खर्च कम होगा और पानी की भी बचत होगी।

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विभाग के अनुसार इस तकनीक से खेती करने से करीब 125-130 क्विंटल प्याज एक एकड़ में निकलते हैं और प्याज की क्वालिटी अच्छी होने से भाव ज्यादा मिलेगा। विभाग द्वारा किसानों को मल्चिंग पर भी 8 हजार रुपये प्रति एकड़ अनुदान दिया जाएगा।

एनएचआरडीएफ टीम ने अधिकारियों व प्रगतिशील किसानों से की मीटिंग

राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एनएचआरडीएफ) सलारू करनाल के सहायक निदेशक डाॅ. एके सिंह ने अपनी टीम के साथ गत दिवस बागवानी विभाग के कार्यालय में डीएचओ डा. शार्दूल शंकर व अन्य अधिकारियों और कई प्रगतिशील किसानों से मीटिंग की। उन्होंने बताया कि एनएचआरडीएफ का एल 28, रेड 3 व रेड 4 वेरायटी का प्याज का बीज अब ज्यादा प्रचलन में है और इसका एक एकड़ में 3-4 किलो बीज लगता है।

किसान सलारू केंद्र से इन वेरायटियों का बीज तीन हजार रुपये प्रति किलो खरीद सकते हैं। रबी फसल के प्याज की पौध की बिजाई अक्तूबर में होती है और दो माह में पौध तैयार होगी। दिसंबर के मध्य से जनवरी मध्य तक पौध की फिर मल्चिंग तकनीक से रोपाई होगी। प्याज की हारवेस्टिंग अप्रैल माह में होगी।

विभाग देगा पूरा सहयोग: डाॅ. शार्दूल शंकर

डीएचओ डाॅ. शार्दूल शंकर ने बताया कि किसानों का परंपरागत प्याज की खेती की बजाय मल्चिंग तकनीक से खेती करने की तरफ रुझान बढ़ा है। विभाग द्वारा प्याज की खेती के लिये किसानों को 40-50 अनुदान व मल्चिंग पर भी 8 हजार रुपये प्रति एकड अनुदान दिया जाएगा। इस उन्नत तकनीक से प्याज की खेती करने से किसानों की खरपतवार निकालने की मजदूरी बचेगी, पानी की बचत होगी और प्याज की क्वालिटी अच्छी होने पर भाव ज्यादा मिलेगा। विभाग द्वारा प्याज की खेती करने वाले किसानों की पूरी मदद करेगा।

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