उत्तरी हरियाणा के किसानों को नहीं मिल रहा उनका हक : आर्य
खंड के गांव गुढा में सोमवार काे किसानों की एक अहम बैठक हुई, जिसमें उत्तरी हरियाणा के किसानों की समस्याओं पर विस्तार से चर्चा हुई। किसानों का कहना था कि चाहे कोई भी सरकार हो या मुख्यमंत्री बना हो उत्तरी हरियाणा के साथ हमेशा से भेदभाव हुआ है। यहां के हिस्से का पानी दक्षिण और पश्चिम हरियाणा में भेज दिया गया है।
भाकियू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सेवा सिंह आर्य ने कहा कि पहले जिन रजवाहों में सालभर पानी बहता था, उन्हें अब बरसाती बना दिया गया है। यहां की धरती प्यासी है और पीने का पानी भी रजबाहों में नहीं आ रहा। किसानों ने सरकार से मांग की कि उत्तरी हरियाणा के जिलों पंचकूला, अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, पानीपत, करनाल और जींद के हिस्से का पानी तुरंत मुहैया करवाया जाए।
सोमवार को बैठक में खास तौर पर बेगमपुर के पास बने रजबाहे को बारहमासी बनाए जाने की मांग उठी। किसानों ने कहा कि यहां ग्राउंड वाटर लेवल बहुत नीचे है और सिंचाई का एकमात्र सहारा यही रजबाहा है। किसानों ने पटवारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कि पटवारी निशानदेही के लिए किसानों को प्राइवेट मशीन से नाप करवाने को कहते हैं, जिसकी फीस 15 हजार रुपये तक होती है। जबकि सरकारी फीस केवल 200 से 300 रुपये है।
इस व्यवस्था को तुरंत बदले जाने की मांग की गई। भाकियू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सेवा सिंह आर्य ने बैठक में कई अन्य मांगें भी उठाईं। इस मौके पर जिला महासचिव टेकचंद, ईशम सिंह, बलबीर सिंह, भीम सिंह, सतपाल, रणधीर, राम सिंह, मेघराज व अन्य किसान मौजूद रहे।