ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल बंद होने से किसान परेशान, सब्सिडी राशि न मिलने पर नाराजगी
सरकार पराली जलाने वालों पर सख्त लेकिन कई किसानों को नहीं मिली पिछले वर्ष की सब्सिडी की राशि
हाल ही में शाहाबाद के कई गांवों में आई बाढ़ से प्रभावित किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की थी। इसके बाद सरकार ने ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल खोला ताकि किसान अपने नुकसान का ब्यौरा दर्ज करवा सकें। पिछले तीन दिनों से यह पोर्टल बंद पड़ा है, जिससे किसानों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।
भाकियू चढूनी के प्रेस प्रवक्ता राकेश बैंस ने बताया कि सरकार ने यह पोर्टल 15 सितंबर तक खोला है, मगर किसान सीएचसी सेंटर पर जाने के बावजूद अपनी आपत्तियां दर्ज नहीं कर पा रहे। उन्होंने बताया कि अधिकारियों को सूचित किया गया है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। बैंस ने मांग की कि सरकार पोर्टल को सुचारू रूप से चलाए और अंतिम तिथि बढ़ाई जाए।
दूसरी ओर गांव दाऊमाजरा के किसान विक्रम दाऊमाजरा ने बताया कि गांव के कई किसानों—जिनमें कुलविंद्र कौर, लफसैन सिंह और धमेंद्र शामिल हैं को पिछले वर्ष पराली प्रबंधन योजना के तहत खरीदे गए कृषि यंत्रों की सब्सिडी की राशि आज तक नहीं मिली। उनका कहना है कि सरकार किसानों को पराली न जलाने के लिए तो लगातार सख्त निर्देश देती है और व्यापक प्रबंध करती है, लेकिन जिन किसानों ने पराली प्रबंधन अपनाया, उन्हें ही उनके हक की राशि से वंचित रखा गया।
विक्रम ने आरोप लगाया कि जिन किसानों को सब्सिडी मिली है, उनकी राशि सीधे किसानों के खातों में डालने की बजाय अधिकारियों ने केसीसी लोन खातों में भेज दी, जिसे बैंकों ने अपनी रिकवरी में समायोजित कर लिया। इससे किसान वास्तविक लाभ से वंचित रह गए। किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि लंबित सब्सिडी की राशि तुरंत किसानों के पोर्टल पर दर्ज खातों में भेजी जाए, ताकि वे राहत पा सकें।