परिजनों ने मकान, दुकान बेचकर भेजा था अमेरिका, टूट गई उम्मीद
करनाल के गांव संगौही के रजत ने वापस आकर सुनाई आपबीती
अमेरिका ने भारत के 50 भारतीयों को डिपोर्ट कर दिया, इनमें 16 युवक करनाल के है। अमेरिका से वापस भेजे गए गांव संगौही के रहने रजत भी एक है, जिसे भेजने के लिए रजत के परिवार ने मकान, दुकान और प्लाट सबकुछ दांव पर लगा दिया। घर की स्थिति बेहतर करने के लिए अमेरिका भेजे गए रजत के वापस भेजे जाने से परिवारवालों की सारी उम्मीदें धूमिल हो गईं। आंखों के सामने टूटे सपनों को देखकर परिवारजन खासे निराश हैं।
अमेरिका से वापस भेजे गए रजत ने बताया कि बीते साल 26 मई को अमेरिका के लिए अपने घर से निकला था ताकि अपने और अपने परिवार की स्थिति को ठीक कर सके। पनामा के जंगलों से 12-13 लड़कों का ग्रुप गया था। जंगलों के रास्ते चलना पड़ता था, जहां-जहां कोई मिलता था, ग्रुप वहीं-वहीं रुक जाता था। गाड़ियों में भी लोगों का ग्रुप साथ होता था, जो साथ चलता था। 2 दिसंबर को रजत बॉर्डर क्रॉस कर चुका था, पहले 12-13 दिन हमें वहां रखा गया। इसके बाद कहीं और ले जाया गया। 20 अक्तूबर को पता लग चुका था कि उन्हें भारत वापस भेजा जाएगा। उन्होंने कहा 'मेरे साथ किसी भी तरह का कोई गलत सलूक नहीं किया गया, लेकिन वहां दिक्कतों का सामना जरूर करना पड़ा।' उन्होंने कहा कि उनके अमेरिका जाने में करीब 45 लाख रुपए लग गए थे। युवक ने बताया उनके पिता हलवाई का काम करते हैं, अब मैं अपने पिता के काम में हाथ बटाउंगा। उन्होंने कहा कि गांव की ही किसी एजेंट ने भेजा था, फिलहाल उससे बातचीत करेंगे। अगर हल नहीं निकला तो आगे की कार्रवाई करेंगे। रजत के भाई विशाल ने बताया बॉर्डर क्रॉस करने के बाद बांड की अपील के लिए भी पैसा लगा, हमने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की थी कि किसी तरह से हमारा भाई वहां सेट हो जाए। उसके बाद भी उन्होंने मेरे भाई का केस रद्द कर दिया और उसे भारत वापस भेज दिया। उन्होंने अन्य लोगों से अपील की कि ठीक रास्ते से विदेश जाएं, गलत रास्ता न अपनाएं।

