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आईटीआई बादल का अस्तित्व खतरे में, ख्योवाली में तब्दीली का जताया विरोध

पंजाब के बादल गांव में 2001 में तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. प्रकाश सिंह बादल द्वारा स्थापित आईटीआई बादल का भविष्य अनिश्चित हो गया है। वर्तमान आप सरकार ने आईटीआई बादल को बंद कर उसे ख्योवाली आईटीआई में समेकित करने का फैसला...
आईटीआई बादल की इमारत।
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पंजाब के बादल गांव में 2001 में तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. प्रकाश सिंह बादल द्वारा स्थापित आईटीआई बादल का भविष्य अनिश्चित हो गया है। वर्तमान आप सरकार ने आईटीआई बादल को बंद कर उसे ख्योवाली आईटीआई में समेकित करने का फैसला लिया है। इस फैसले के खिलाफ बादल ग्राम पंचायत ने सर्वसम्मति से कड़ा विरोध जताते हुए राज्य सरकार को पत्र लिखा है और तत्काल इस तब्दीली को रद्द करने की मांग की है।

बादल पंचायत का कहना है कि अत्याधुनिक मशीनरी और सुविधाओं से लैस आईटीआई बादल राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीटी) से मान्यता प्राप्त है। सूत्रों के मुताबिक, आईटीआई बादल से जुड़े कुछ वरिष्ठ अधिकारियों पर नियमों के उल्लंघन, अवैध पदोन्नति और डिग्रेडेशन के आरोप लगते हैं। इन मामलों में तीन केस पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में विचाराधीन हैं, जिनकी अगली सुनवाई 2 सितंबर को निर्धारित है।

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परिचालन को लेकर भ्रम

आईटीआई ख्योवाली पहले से ही एनसीवीटी मान्यता प्राप्त छह कोर्स जैसे कटाई-सिलाई, फैशन डिज़ाइनिंग, कढ़ाई, इलेक्ट्रॉनिक्स मैकेनिक, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और ड्राफ्ट्समैन सिविल चला रहा है। प्रिंसिपल पुनीता गोयल ने बताया कि सरकारी नोटिफिकेशन के बाद 20 कर्मचारी ख्योवाली आईटीआई में ज्वाइन कर चुके हैं, लेकिन दोनों संस्थानों के संयुक्त संचालन को लेकर अभी स्पष्ट निर्देश नहीं मिले हैं। पंजाब कैबिनेट के निर्णय के बावजूद यह स्पष्ट नहीं है कि ख्योवाली में दोनों आईटीआई अलग-अलग संचालित होंगे या एक ही प्रबंधन के अधीन आएंगे। दोनों संस्थानों के प्रिंसिपल अलग-अलग तैनात हैं, जिससे परिचालन में असमंजस बना हुआ है।

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