कपड़े की फेरी लगाने वाले की बेटी बनी सफलता की मिसाल
मेहनत और लगन के बल पर सफलता की राह बनाई जा सकती है, इसका उदाहरण क्षेत्र के गांव कैहरबा निवासी छात्रा प्रियंका ने पेश किया है। बेहद गरीब परिवार से संबंध रखने वाली छात्रा प्रियंका ने सीएसआईआर नेट परीक्षा में भौतिक विज्ञान विषय में ऑल इंडिया में 93 रैंक हासिल किया। अमेरिका की एक प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी ने न्यूक्लियर साइंस विषय पर पीएचडी करने के लिए स्कॉलरशिप के साथ उसे अमेरिका बुला लिया है। प्रियंका की इस उपलब्धि से क्षेत्र व समाज के लोगों में खुशी का माहौल है।
प्रियंका के परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है। छात्रा के पिता परमजीत सिंह कपड़ों की फेरी लगाकर परिवार का पालन-पोषण करते हैं, जबकि माता सुरेशो देवी गृहिणी हैं। परिवार में उनके दादा राम सिंह हैं, जोकि भेड़-बकरियां पालने व चराने का काम करते हैं। तमाम आर्थिक कठिनाइयों और संसाधनों की कमी के बावजूद छात्रा ने कभी हार नहीं मानी और अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान दिया। प्रियंका की बहन दीक्षा ने बताया कि अमेरिका में न्यूक्लियर साइंस विषय पर प्रियंका को स्कॉलरशिप मिली है और अब वह पढ़ाई के लिए अमेरिका पहुंच गई है। उसकी बहन प्रियंका न्यूक्लियर साइंस विषय पर शोध कर देश का नाम रोशन करेगी।
प्रियंका ने जैनपुर साधान के राजकीय माध्यमिक विद्यालय से आठवीं कक्षा प्राप्त करने के बाद चौ. संत राम सीनियर सेकेंडरी स्कूल, जैनपुर साधान में दाखिला लिया। दयाल सिंह कॉलेज करनाल से उसने बीएससी नॉन मेडिकल की। भौतिक विज्ञान में एमएससी महर्षि मारकंडेश्ववर विश्वविद्यालय मुलाना से की। इसके बाद उसने बीएड में दाखिला लिया। इसके साथ ही सीएसआईआर नेट की तैयारी में जुट गई। इसी दौरान उन्होंने सीटेट-1, सीटेट-2, रीट परीक्षा-2 (साइंस), पंजाब का पीटेट (टीजीटी साइंस) व बिहार का सीटेट (टीजीटी गणित), बिहार का एसटेट (पीजीटी भौतिक विज्ञान) को अच्छे अंकों से क्वालीफाई किया। इसके बाद अमेरिका के टेक्सास टेक विश्वविद्यालय की परीक्षा को उत्तीर्ण किया। हैदराबाद में साक्षात्कार के बाद उनका वीजा आ गया और आज वह अमेरिका में रह कर अपनी पीएचडी की पढ़ाई कर रही है।
स्वामी विवेकानंद और भगवद गीता से मिलती है प्रेरणा
प्रियंका ने कहा कि अमेरिका में जाकर पीएचडी करना उसके लिए सपना पूरा होने जैसा है। उसने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, अपने दादा और शिक्षकों को दिया है। उन्होंने कहा कि भगवद गीता व स्वामी विवेकानंद के विचार उन्हें प्रेरणा देते हैं।