विभिन्न राज्यों की संस्कृति बनी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र
गीता महोत्सव : ब्रह्मसरोवर के चारों ओर बिखरी भारतीय संस्कृति की महक
- लोक कलाकारों ने वाद्य यंत्रों से किया पर्यटकों का मनोरंजन
- कल गीता यज्ञ और गीता पूजन से होगा मुख्य कार्यक्रमों का आगाज
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में ब्रह्मसरोवर के पावन तटों पर भारतीय संस्कृति की महक को दूर-दूर तक महसूस किया जा रहा है। इस महोत्सव में जहां शिल्पकार अपनी शिल्पकला से पर्यटकों को मोहित कर रहे हैं तो वहीं विभिन्न प्रदेशों के लोक कलाकार पर्यटकों का खूब मनोरंजन कर रहे है। शिल्प और सरस मेले के 8वें दिन शनिवार को दूर-दराज से आने वाले पर्यटकों का विभिन्न प्रदेशों के लोक कलाकार मनोरंजन कर रहे हैं। उत्तरी तट पर जहां राजस्थानी लोक कलाकार कच्ची घोड़ी नृत्य की प्रस्तुति देकर पर्यटकों को नृत्य करने के लिए उत्साहित कर रहे हैं तो वहीं उत्तर पश्चिमी तट पर बीन-बांसुरी की धुन पर लोक कलाकार भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं।
महोत्सव में 5 दिसंबर तक चलने वाले सरस और क्राफ्ट मेले में आने वाले पर्यटकों को इस बार अनोखी शिल्पकला देखने को मिल रही है। ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर कई ढोल-नगाड़े के साथ-साथ डेरू वाले संगीत ने पर्यटकों को नाचने पर मजबूर कर रहे हैं। उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केंद्र पटियाला के अधिकारी भूपेंद्र सिंह ने कहा कि महोत्सव में इन लोक कलाकारों ने अपना जौहर और अपने-अपने राज्यों की लोक संस्कृति को ब्रह्मसरोवर के तट पर दिखाकर इस भव्य आयोजन को और भव्य बनाने का काम किया है। डीसी विश्राम कुमार मीणा ने कहा कि गीता महोत्सव के दौरान पुरुषोत्तमपुरा बाग में सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग की राज्यस्तरीय प्रदर्शनी, विदेशी शिल्पकारों के स्टाल और मुख्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंच सजने लगा है। महोत्सव में 24 नवंबर को गीता यज्ञ और गीता पूजन से मुख्य कार्यक्रमों का आगाज होगा और यह मुख्य कार्यक्रम 1 दिसंबर को दीपदान के साथ संपूर्ण हो जाएंग, जबकि सरस और शिल्प मेला 5 दिसंबर 2025 तक चलेगा। जिला परिषद की चौयरपर्सन कंवलजीत कौर ने डीपीसी इंदु कौशिक की उपस्थिति में विद्यार्थियों का स्वागत किया।

