मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

संस्कृति हमारा अतीत, वर्तमान और भविष्य है : चित्रा सरवारा

अम्बाला में शास्त्रीय नृत्य कथक को जन-जन तक पहुंचाने और उसे एक सम्मानित स्थान दिलाने का श्रेय ‘संस्कृति सेंटर फॉर क्रिएटिव आर्ट्स’ और उसकी संस्थापक शबनम नाथ को जाता है। आज अम्बाला छावनी के बीपीएस प्लेनेटोरियम परिसर में आयोजित वार्षिक...
Advertisement

अम्बाला में शास्त्रीय नृत्य कथक को जन-जन तक पहुंचाने और उसे एक सम्मानित स्थान दिलाने का श्रेय ‘संस्कृति सेंटर फॉर क्रिएटिव आर्ट्स’ और उसकी संस्थापक शबनम नाथ को जाता है।

आज अम्बाला छावनी के बीपीएस प्लेनेटोरियम परिसर में आयोजित वार्षिक ‘गुरुपूर्णिमा’ के सन्दर्भ में आयोजित नृत्यकला कार्यक्रम की समाजसेवी चित्रा सरवारा ने सराहना करते हुए कहा, ‘संस्कृति केवल एक परंपरा नहीं, आत्मा का उत्सव है, यह हमारी सभ्यता और संस्कार से जुड़ने का माध्यम है और हमारे भविष्य की पहचान भी।’ आज से दो दशक पहले, जब अम्बाला की सांस्कृतिक चेतना में हरियाणवी लोकनृत्य और संगीत का बोलबाला था, तब शास्त्रीय नृत्य, विशेषकर कथक, को यहाa कोई विशेष पहचान नहीं मिली थी। 2002 में, शबनम नाथ ने यह स्वप्न देखा कि अम्बाला में भी कथक को वह प्रतिष्ठा मिलनी चाहिए, जिसकk वह हकदार है। दो वर्ष के अथक संघर्ष और समर्पण के बाद, 2004 में उन्होंने ‘संस्कृति सेंटर फॉर क्रिएटिव आर्ट्स’ की स्थापना की। यह संस्था केवल कला नहीं सिखाती, बल्कि जीवन के सौंदर्यबोध को भी पोषित करती है। आज ‘संस्कृति’ 80 से अधिक शिष्यों को प्रशिक्षित कर रही है। यह संस्था प्राचीन कला केंद्र (कोलकाता/चंडीगढ़) से संबद्ध है, जहां प्रारंभिक से लेकर विचार स्तर तक की परीक्षाएं संपन्न होती हैं।

Advertisement

Advertisement
Show comments