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हस्तशिल्प प्रदर्शनी समापन पर शिल्पकारों व बुनकरों को किया सम्मानित

बहादुरगढ़ में मंगलवार सेक्टर 6 स्थित सामुदायिक केद्र में हस्तशिल्प प्रदर्शनी समापन अवसर पर बुनकर और शिल्पकार सम्मानित हुए। नाबार्ड, प्राचीन कारीगर एसोसिएशन, रुडफ के सहयोग से आयोजित हुई 10 दिवसीय राष्ट्रीय शिल्प कला व प्रदर्शनी का समापन हो गया।...
बहादुरगढ़ में मंगलवार को आयोजित प्रदर्शनी में शिल्पियों, बुनकरों को सम्मानित करते हुए नाबार्ड अधिकारी व रुडफ के पदाधिकारी। -निस
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बहादुरगढ़ में मंगलवार सेक्टर 6 स्थित सामुदायिक केद्र में हस्तशिल्प प्रदर्शनी समापन अवसर पर बुनकर और शिल्पकार सम्मानित हुए। नाबार्ड, प्राचीन कारीगर एसोसिएशन, रुडफ के सहयोग से आयोजित हुई 10 दिवसीय राष्ट्रीय शिल्प कला व प्रदर्शनी का समापन हो गया। इसमें बच्चों से लेकर बड़ों ने मनपसंद उत्पादों की खरीदारी की। महिलाओं ने दीपावली सीजन पर घरों की साज सज्जा का भी सामान खूब खरीदा। इस प्रदर्शनी में 12 सूबों से 50 से ज्यादा राष्ट्रीय, राज्य स्तरीय शिल्कारों, बुनकरों ने भाग लिया।

हस्तशिल्प प्रदर्शनी समापन अवसर

वहीं कई स्वयं सहायता समूह से जुड़े किसानों, महिलाओं ने भी प्रदर्शनी में भाग लेकर अपने बनाये हुए उत्पादों से लोगों का ध्यान खींचा। सोमवार को प्रदर्शनी समापन पर मुख्यातिथि के तौर पर मोहित यादव एजीएम नाबार्ड रोहतक व सलाहकार नाबार्ड आरओ चंडीगढ़ से संदीप चहल ने संयुक्त रूप से भाग लिया। उन्होंने शिल्पकारों, बुनकरों, किसान समूहों को सर्टिफिकेट एवं प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया।

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उन्होंने कहा कि नाबार्ड का मुख्य उद्देश्य कृषि एवं ग्रामीण विकास को सशक्त बनाना है। नाबार्ड विभिन्न राष्ट्रीय योजनाओं के माध्यम से सेल्फ हेल्प ग्रुप, जेएलजी और कृषि क्षेत्र से जुड़े पीएफओ समूहों को वित्तीय सहायता और विपणन सहयोग प्रदान करता है ताकि ग्रामीण क्षेत्र में महिलाएं और जरूरतमंद लोग आत्मनिर्भर बन सकें। उन्होंने बहादुरगढ़ में इस सफल आयोजन के लिए यहां की जनता, प्राचीन कारीगर एसोसिएशन व रूरल अर्बन डेवलपमेंट फाउंडेशन के योगदान को सराहा।

हस्तशिल्प प्रदर्शनी समापन के दौरान मौजूद रहे ये लोग

उधर प्रदर्शनी के समापन पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बच्चों ने शास्त्रीय संगीत, नृत्य, नाटिका, भारतनाट्यम, पंजाबी डांस व हरियाणवीं लोकनृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों का मनमोह लिया। इस बार शिल्पगुरु परम्परा के तहत गुरू अर्चना पंवार व उनकी शिष्या अर्चना त्रिपाठी को वर्ष 2025 का सम्मान प्रदान किया गया। इस प्रदर्शनी में टेराकोटा कला, बनारसी साड़ी, सूत्री वस्त्र, लकड़ी का काम, पेटिंग ज्वैलरी, लेदर जूती, पीतल वर्क, लाख की चूडिय़ां, खुर्जा पॉटरी, सांगानेर रजाई और आर्गेनिक उत्पाद आकर्षण का केन्द्र बने रहे।

समापन समारोह में डॉ. राजेंद्र जांगड़ा, शशि कुमार, नीरज बोंदवाल, सूर्यकांत बोंदवाल, चंद्रकांत बोंदवाल, ललित, पूनिया, अशोक प्रजापति, बिट्टू शरण, राजकुमार, साहित सहित अनेक शिल्पकार और विभिन्न संस्थाओं से जुड़े सदस्य उपस्थित रहे। प्रदर्शनी समापन पर शाम को रंगारंग कार्यक्रम के बाद सभी प्रतिभागियों को प्रशंसा पत्र देकर सम्मान किया गया।

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