शिल्प एवं सरस मेला संपन्न, आखिरी दिन पर्यटकों ने जमकर की खरीदारी
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के शिल्प एवं सरस मेले के अंतिम दिन शुक्रवार को शिल्पकार और कलाकार अपने स्टॉल एवं घाटों पर पर्यटकों से गर्मजोशी से मिले। कलाकारों ने प्रस्थान से पहले ब्रह्मसरोवर के पवित्र जल का आचमन किया। पूर्ण सुरक्षा और व्यवस्था के बीच 21 दिवसीय सरस व शिल्प मेला संपन्न हो गया। आखिरी दिन पर्यटकों ने भी जमकर खरीदारी की।
महोत्सव में देशभर से आए कलाकारों ने 15 नवंबर से 5 दिसंबर तक ब्रह्मसरोवर के घाटों पर रोजाना सांस्कृतिक प्रोग्राम प्रस्तुत किये। इसके अलावा 48 कोस के 182 तीर्थों पर भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों व जिला स्तरीय कार्यक्रमों में भी अपनी प्रस्तुति दी है।
सांस्कृतिक कलाकारों के अलावा नगाड़ा पार्टी, राजस्थान की कच्ची घोड़ी के साथ-साथ पंजाब से आए बाजीगर ग्रुप भी महोत्सव में आकर्षण का केंद्र रहे। डीसी ने अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के सफल आयोजन पर सभी समाजसेवी व धार्मिक संस्थाओं, शहर वासियों और अधिकारियों, कर्मचारियों का विशेष रूप से आभार व्यक्त किया।ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर लगे महोत्सव में विभिन्न प्रदेशों की अलग-अलग वेशभूषा और लोक संस्कृति ने लोगों के मन को मोह लिया है। महोत्सव में जहां एक ओर ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर लगे सरस और क्राफ्ट मेले में लोगों ने जमकर खरीददारी की, वहीं दूसरी ओर ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर आने वाले पर्यटकों ने हरियाणवी खान-पान के साथ-साथ विभिन्न राज्यों के विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजनों का भी लुफ्त उठाया। संध्या कालीन आरती में जहां पर्यटकों ने भाग लिया, वहीं दूसरी ओर रात्रि के समय में पर्यटक इस भव्य आयोजन में रंग बिरंगी लाइटों से सजे ब्रह्मसरोवर के तट का आनंद लेते हुए नजर आए। कश्मीर के शिल्पकार शौकत को उच्च गुणवत्ता की पसमीना की कानी शाल को बनाने में 5 से 6 साल का समय लग जाता है। इस कानी शाल की कीमत लगभग 5 लाख रुपए के आस-पास तय की जाती है। इस कानी शाल को वैरायटी के हिसाब से 5 या 6 माह में भी तैयार किया जा सकता है। अहम पहलु यह है कि शिल्पकार शौकत के साथ-साथ आसिफ, सज्जाद व परिवार के अन्य सदस्य भी इस शिल्पकला में लगा हुआ है।
बढ़ते प्रदूषण के कारण लुप्त हो रही गोरैया चिड़िया के संरक्षण के लिए चंड़ीगढ़ से आए मामचंद द्वारा सराहनीय प्रयास किए जा रहे हैं। इस शिल्पकार द्वारा महोत्सव के पूर्वी तट पर स्टॉल नंबर 169 स्थापित किया गया है। महोत्सव में अनेक प्रकार की शिल्पकला, नाट्य कला, संस्कृति और खान-पान से सजा ब्रह्मसरोवर का पावन तट पर्यटकों के लिए आकषर्ण का केंद्र बना हुआ है। इन सबके बीच विभिन्न प्रदेशों से जैविक उत्पाद लेकर पहुंचे है। इन प्रमुख उत्पादों में हमारे रसोई में प्रयोग होने वाले प्रमुख उत्पाद, जिनमें दाल, मसाले, औषधियों आदि शामिल है। यह स्टॉल ब्रहमसरोवर के उत्तरी-पश्चिमी तट पर पर्यटकों को पहाड़ी जैविक खान-पान से रूबरू करवा रहे हैं। हरियाणवी संस्कृति सबसे समृद्ध है। हरियाणा के रीति-रिवाज, परम्पराएं, काम धंधे, वेशभूषा, रहन-सहन, बोल-बानी का कोई मुकाबला नहीं। हरियाणा पैवेलियन में आकर पूरे हरियाणा के दर्शन एक ही जगह हो जाते हैं। यहां पर हरियाणवी संस्कृति के बहुआयामी रंग दिखाई देते हैं। ये विचार कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा की धर्मपत्नी एवं भारत विकास परिषद की मैत्रेयी शाखा की अध्यक्ष डॉ. ममता सचदेवा ने हरियाणा पवेलियन का अवलोकन करने के बाद व्यक्त किए। हरियाणा पैवेलियन में पहुंचने पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग की उप-निदेशक डॉ. सलोनी पवन दिवान ने पुष्प गुच्छ देकर उनका स्वागत किया और उन्हें पूरे पैवेलियन का अवलोकन करवाया। महोत्सव में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा स्थापित ‘हरियाणवी मीडिया चौपाल’ इस वर्ष हरियाणा पैवेलियन की सबसे बड़ी पहचान बनकर उभरी। युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग तथा जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी संस्थान ने पहली बार ऐसी नवोन्मेषी पहल कर हरियाणा पवेलियन को नई पहचान दी है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने हरियाणा पैवेलियन के मीडिया चौपाल की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह पहल युवा पीढ़ी को संस्कृति से जोड़ने का प्रभावशाली माध्यम है और विश्वविद्यालय द्वारा किया गया यह प्रयोग हरियाणा की परंपराओं को नया जीवन देगा। मीडिया चौपाल में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर, हरियाणा के पर्यटन मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार, जिला परिषद के उपाध्यक्ष धर्मपाल चौधरी तथा मुख्यमंत्री के मीडिया को-ऑर्डिनेटर तुषार सैनी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे, जिन्होंने मीडिया चौपाल को प्रेरणादायक और उल्लेखनीय बताया। इसके अतिरिक्त मीडिया चौपाल में गीता ज्ञान संस्थानम गुरुकुल, कुरुक्षेत्र के बीस सदस्यीय विद्यार्थियों के दल ने गीता के इतिहास, गीता का सार, गीता संदेश, गीता के श्लोकों पर बातचीत की।
