मुआवजा नहीं देने पर कोर्ट ने जिमखाना क्लब को अटैच करने के दिए निर्देश
जिमखाना क्लब को लेकर कोर्ट ने क्या कहा
कोर्ट ने कड़ा संज्ञान लेते हुए जिम खाना क्लब को अटैच करने के निर्देश दिए हैं। जमीन अधिग्रहण इस मामले में अदालत ने साल 2006 और 2017 में दो बार मुआवजे की राशि बढ़ाई, लेकिन आज तक जमीन के मालिक को बढ़ी हुई राशि का भुगतान नहीं किया गया। दौलताबाद इलाके में स्थित विवादित जमीन को 1999 में एचएसवीपी (पहले हूडा के नाम से जाना जाता था) ने अधिगृहीत किया था और जमीन के मालिक को मुआवजा दिया गया था।
मुआवजे से नाखुश जमीन के मालिक कपूर सिंह ने अदालत का दरवाजा खटखटाया, जिसने पहले 2006 में मुआवजे में वृद्धि की और फिर 2017 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा इसे बढ़ा दिया गया।
एचएसवीपी को हाईकोर्ट ने दिया था आदेश
हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी एचएसवीपी ने कोई भुगतान नहीं किया। 2019 में सिंह ने गुरुग्राम कोर्ट में निष्पादन याचिका दायर की। मुकदमे के दौरान अक्तूबर 2020 में उनकी मृत्यु हो गई और उनके कानूनी उत्तराधिकारियों को रिकॉर्ड में लाया गया, उन्होंने एचएसवीपी के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखी। एचएसवीपी को बढ़े हुए मुआवजे के रूप में लगभग 40 लाख रुपये का भुगतान करना है।
याचिकाकर्ता के वकील जगजीत सिंह ने कहा कि पिछले छह वर्षों में अदालत से 25 अवसरों का लाभ उठाने के बाद भी एचएसवीपी भुगतान करने में विफल रहा। इससे पहले एचएसवीपी के तत्कालीन मुख्य प्रशासक ने फरवरी 2022 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष एक हलफनामा भरकर 2022 के अंत तक भूमि मालिकों को लंबित राशि का भुगतान करने का आश्वासन दिया था। लेकिन एचएसवीपी भुगतान करने में विफल रहा।
वकील जगजीत सिंह ने कहा कि प्रणाली में कोई पारदर्शिता नहीं है और पारदर्शिता और स्पष्ट दिशा-निर्देशों के अभाव में लोगों को दलालों की मदद लेने और अपनी अधिगृहीत भूमि का मुआवजा पाने के लिए कमीशन देने के लिए मजबूर होना पड़ता है। सरकार को पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना चाहिए और स्पष्ट दिशा-निर्देश निर्धारित करने चाहिए ताकि समय पर और पारदर्शी तरीके से मुआवजा दिया जा सके।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जगदीप सिंह ने मामले में सुनवाई करते हुए अपने आदेश में सेक्टर 29 में एचएसवीपी के जिमखाना क्लब को अटैच करने का आदेश दिया।
