मोघों में फेरबदल : पानी छोड़ने पर टूटी चौटाला डिस्ट्रीब्यूटरी
90 एकड़ फसलें डूबी, आंकलन करने में असमर्थ रहा विभाग
चौटाला डिस्ट्रीब्यूटरी (माइनर) के मोघों के साइज में फ़ेरबदल के बाद पानी की पहली आमद टेल के किसानों पर काफी भारी पड़ी। गांव चौटाला के रकबे में बुर्जी नंबर 60 के निकट माइनर टूटने से लगभग 80-90 एकड़ धान, ग्वार, नरमा व किन्नू बागानों में दो से तीन फुट तक पानी भर गया। इससे दर्जन भर किसानों की छह माह की मेहनत पर पानी फिर गया और लाखों रुपये का नुकसान हुआ।
कुछ दिन पूर्व गांव चौटाला के किसानों ने टेल तक पानी न पहुंचने के विरोध में 11 दिन तक धरना दिया था। किसानों की मांग पर सिंचाई मंत्री श्रुति चौधरी के हस्तक्षेप से सप्ताह पहले डिस्ट्रीब्यूटरी के करीब 24 मोघों के साइज में फेरबदल किया गया था। इसी बदलाव से असंतुष्ट मध्य क्षेत्र के दस गांवों के किसान जंडवाला पुली के पास पिछले छह दिन से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। किसानों ने रोष स्वरूप करीब 25 मोघों के आगे पक्की दीवारें निकाल दी हैं।
सूत्रों के अनुसार बृहस्पतिवार रात करीब 10 बजे बुर्जी टूटी। किसानों का आरोप है कि मोघों में बदलाव के बाद सिंचाई विभाग ने बिना स्थिति का सही आंकलन किए पानी छोड़ दिया, जिससे जर्जर माइनर दबाव नहीं झेल सकी। विभाग का कहना है कि किनारे खड़े पेड़ की जड़ों से पानी का रिसाव इसके पीछे कारण रहा। विभागीय कर्मचारी कटाव को जोड़ने में जुटे हैं।
किसान नेता दया राम उलानिया ने कहा कि यदि पानी 4-5 घंटे और पहले छोड़ा जाता तो किसान और विभाग मिल कर पेट्रोलिंग कर सकते थे और यह स्थिति टल सकती थी।
माइनर में 65 की बजाय 40 क्यूसिक पानी छोड़ा गया
विभागीय सूत्रों के अनुसार धरनारत किसानों द्वारा मोघे बंद किए जाने के मद्देनजर माइनर में 65 की बजाय 40 क्यूसिक पानी छोड़ा गया था, जिसे तकनीकी रूप से सायफन से कम दबाव में निकालना संभव नहीं था।
करीब 25 किलोमीटर लंबी चौटाला डिस्ट्रीब्यूटरी लगभग 50 वर्ष पुरानी व अत्यधिक जर्जर स्थिति में है। कार्यकारी अभियंता मनदीप बेनीवाल ने बताया कि कटाव को ठीक कर पानी छोड़ा जाएगा। इसके पुनर्निर्माण हेतु 9 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तकनीकी स्वीकृति के लिए भेजा गया है और दो से तीन माह में टेंडर आमंत्रित किए जा सकेंगे।