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धान घोटाले की सीबीआई से जांच हो, 90 दिनों में मिले रिपोर्ट : रणदीप सुरजेवाला

गन्ना उत्पादक किसानों की मांगाें को लेकर कांग्रेस ने यमुनानगर में किया प्रदर्शन
यमुनानगर के लघु सचिवालय में प्रदर्शन करते सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला व अन्य कांग्रेसी।   - हप्र
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सांसद बोले- गन्ने की कीमत बढ़ाकर 500 रुपये प्रति क्विंटल करे सरकार

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव व सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आज लघु सचिवालय में गन्ने की फसल पर लागत से कम मिल रहे दाम से किसान को हो रहे नुकसान और गन्ना उत्पादक किसानों की समस्याओं को लेकर विशाल धरना प्रदर्शन किया। सुरजेवाला ने मुख्यमंत्री के कांग्रेस पर मुआवजे को लेकर किए हमले के जवाब में कहा कि मुख्यमंत्री सैनी को अपने समय का ध्यान रखना चाहिए। उनकी सरकार 11 साल से सत्ता में है, वह बताएं कि 2023, 24 और 25 का बाढ़ के नुकसान व फसलों के नुकसान का अभी तक मुआवजा क्यों नहीं दिया गया। सुरजेवाला ने कहा कि हरियाणा में अब तक का सबसे बड़ा धान घोटाला हुआ है, जिसमें 5000 करोड़ की हेरा-फेरी हुई है। बिहार व उत्तर प्रदेश से 1500 रुपये प्रति क्विंटल धान लाकर हरियाणा में 2300 रुपये में दिया गया। मार्केट कमेटी सचिव दोषी नहीं है, दोषी हैं चंडीगढ़ सचिवालय में बैठ बड़े मगरमच्छ। मामले की सीबीआई से जांच होनी चाहिए और 90 दिनों में रिपोर्ट आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इतने बड़े मामले में मुख्यमंत्री ने अभी तक एक शब्द नहीं बोला, जिससे लगता है कि उनकी भी इस मामले में सहमति और सहभागिता है।

सुरजेवाला ने भाजपा सरकार व मुख्यमंत्री नायब सैनी पर हमला बोलते हुए कहा कि प्रदेश में गन्ने की खेती अब गन्ना उत्पादक किसानों के लिए 'घाटे का सौदा' साबित हो रही है। हरियाणा में 2023 के आंकड़ों के मुताबिक, लगभग 88.60 लाख मीट्रिक टन गन्ने की पैदावार होती थी, जो साल-दर-साल तेजी से कम हो रही है। साल 2005 में जब कांग्रेस सरकार आई, तो गन्ने की कीमत मात्र 135 प्रति क्विंटल थी। 10 साल बाद साल 2014 में जब कांग्रेस सरकार बदली, तो गन्ने की कीमत बढ़ाकर 310 रुपये प्रति क्विंटल कर दी गई थी। 10 साल में कांग्रेस सरकार ने गन्ने की कीमत 175 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाई, जो 295% की बढ़ोत्तरी है। जब साल 2013 में पूरे प्रदेश के किसानों ने गन्ने की कीमत बढ़ाने को आंदोलन किया, तो उस समय स्वयं मेरी अध्यक्षता में बनी कैबिनेट सब-कमेटी ने किसानों की बात सुनकर 45 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की थी। जबकि मौजूदा भाजपा सरकार ने 11 सालों में गन्ने की कीमत 310 प्रति क्विंटल से बढ़ाकर मात्र 415 रुपये प्रति क्विंटल की है। यानी हर साल सिर्फ 9.54 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी। किसान के साथ भाजपा द्वारा किए अन्याय का इससे बड़ा सबूत और क्या हो सकता है। पिछले 11 वर्षों में गन्ना उत्पादन की लागत में बेतहाशा वृद्धि हुई है, लेकिन कोई मुआवज़ा गन्ने की कीमत बढ़ाकर किसान को नहीं दिया जा रहा।

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सुरजेवाला ने मुख्यमंत्री नायब सैनी पर सवाल उठाते हुए कहा कि बेतहाशा खर्च बढ़ने के बावजूद सरकार ने इस वर्ष गन्ने की कीमत में केवल 12 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की, जो ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। उन्होंने कहा कि गन्ना किसान की लागत ही 470 रुपये प्रति क्विंटल से 480 रुपये प्रति क्विंटल तक आ रही है और दूसरी ओर किसान की बेबसी का मजाक उड़ा रही भाजपा सरकार ने 415 रुपये प्रति क्विंटल गन्ने की कीमत का निर्धारण किया है। उन्होंने कहा कि अगर गन्ने की कीमत बढ़ाकर 500 रुपये प्रति क्विंटल नहीं की गई, अन्नदाता किसान व मेहनतकश मजदूर और ज़्यादा कर्जदार भी हो जाएगा। प्रदर्शन में विधायक अकरम ख़ान, पूर्व विधायक अनिल धनतोड़ी, ग्रामीण जिलाध्यक्ष नरपाल सिंह गुर्जर, सतीश तेजली, सतपाल कौशिक, मोहन जयरामपुर, रुद्र प्रताप, राजकुमार त्यागी, परमजीत राणा, भरखू राम, कारज सिंह, मोनिपाल राणा, मनोज जयरामपुर, गुरनाम सिंह, नरेश वाल्मीकि, राजन शर्मा, हरपाल सुडैल, दिलराज सिंह, शिव कुमार, इब्राहिम इंजीनियर, रणधीर राणा, दिलबाग ढांडा, सुरजीत अलेवा, संदीप मोठसरा, आजाद मलिक, वासुदेव शर्मा, मास्टर हरीश चंद, गौरव वर्मा, बलजिंद्र ठरवी, वीरेन्द्र रायचंदवाला, अजय सिंह, हरबीर महल, मुकेश राणा, मधुसूदन बावेजा, रमेश गोदारा, नसीब जाखड़, मोनिका डूमरा, फारूख अब्दुल्ला, प्रदीप अग्रवाल, भूपेंद्र लाठर, धर्मपाल, प्रदीप, विक्रांत सिसौली व मुनीश सुडैल मौजूद रहे।

 

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