भूना के डॉ़ संजीव कुमार द्वारा दायर इस्तगासे के आधार पर तत्कालीन सीएमओ फिलहाल प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर जनरल डॉ.मनीष बंसल, सिविल अस्पताल के नशा मुक्ति केंद्र प्रभारी डॉ.गिरीश कुमार और सीएमओ कार्यालय के क्लर्क भानु प्रताप के खिलाफ शहर थाना पुलिस ने विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। डॉ़ मनीष बंसल पर आरोप है कि उन्होंने प्राइवेट अस्पताल संचालक के फर्जी साइन करवाकर उसकी सीएम विंडो की शिकायत फाइल करवा दी थी। यह केस सीजेएम सुयशा जावा की अदालत के आदेश पर किया गया है। मामले के अनुसार, वर्ष 2017 में भूना में जनता अस्पताल के संचालक डॉ.संजीव कुमार व उनकी पत्नी डॉ.नीलम पर एमटीपी एक्ट के तहत भूना थाने में केस दर्ज करवाया गया था। उस समय डॉ.मनीष बंसल फतेहाबाद के सीएमओ होते थे। इस मामले में अदालत ने 21 जुलाई 2022 को डॉ.संजीव व उनकी पत्नी दोनों को निर्दोष मानते हुए बरी कर दिया। जनता अस्पताल भूना के संचालक डॉ.संजीव कुमार ने आरोप लगाया था कि 2017 में तत्कालीन सीएमओ डॉ.मनीष बंसल, मेडिकल ऑफिसर डॉ.गिरीश ने उन पर एमटीपी एक्ट के तहत भूना थाने में झूठा केस दर्ज करवा दिया। आरोप है कि दोनों अधिकारी उनसे पैसों की मांग करते थे। जब उन्होंने नहीं दिए तो उन पर केस दर्ज करवाया गया। जिस कारण उन्हें व उसकी पत्नी को काफी समय तक बिना किसी दोष के जेल में रहना पड़ा।डॉ.संजीव कुमार की शिकायत के अनुसार उन्होंने 27 जनवरी 2020 को आरपीओसी बारे में सीएम विंडो लगाई थी। जिसकी जांच तत्कालीन सीएमओ डॉ.मनीष बंसल ने की। जांच के दौरान उसे सीएमओ कार्यालय फतेहाबाद बुलाया गया। जहां पर जांच के दौरान क्लर्क भानु प्रताप ने डॉ.गिरीश की मौजूदगी में उसके बयान लिख दिए, लेकिन वह उनके बयान से संतुष्ट नहीं था। इसलिए उसने उस पर हस्ताक्षर करने से साफ इंकार कर दिया तथा अपने घर आ गया। आरोप है कि इसके बाद उन्हें पता चला कि डॉ.मनीष बंसल ने डॉ.गिरीश कुमार व क्लर्क भानु प्रताप के साथ मिलकर क्लर्क द्वारा लिखे गए उसके बयान पर उनके फर्जी साइन कर दिए। जिसके बाद सीएम विंडो की शिकायत फाइल कर दी। जब उन्होंने सीएम विंडो शिकायत ऑनलाइन चेक की तो वह बंद हो चुकी थी। इसके बाद उन्होंने आरटीआई से डॉक्यूमेंट लिए और हिसार में फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट से जांच करवाई तो उनकी रिपोर्ट में उनके साइन फर्जी पाए गए।
इसके बाद इस मामले की डॉ.संजीव ने एक शिकायत एडीजीपी हिसार को दी। जिस पर 14 सितंबर 2023 को भूना पुलिस ने उसे व आरोपी क्लर्क भानु प्रताप को जांच में शामिल किया। इसके बाद जांच रिपोर्ट फतेहाबाद शहर थाने में भेज दी। फिर 22 दिसंबर 2023 को फतेहाबाद शहर थाना ने यह कहकर जांच डिस्पोज ऑफ कर दी कि इस मामले में डॉ.मनीष बंसल का कोई निजी हित नहीं था। जिस पर डॉ संजीव कुमार ने अपने एडवोकेट नरेश सोनी के जरिए कोर्ट में इस्तगासा दायर किया।