सरस्वती को धरती पर लाने की मुहिम, 3 एजेंसियां करेंगी सहयोग
जीएसआई, की ओर से डॉ. संजीव कुमार, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (डब्ल्यूआईएचजी) के प्रतिनिधि तथा सर्वे ऑफ़ इंडिया के निदेशक संजय कुमार व एचएसएचडीबी के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
सरस्वती बोर्ड के डिप्टी चेयरमैन धूमन सिंह किरमच ने बताया कि इन एजेंसियों के माध्यम से जो उत्तराखंड ग्लेशियर को लेकर आदिबद्री तक का क्षेत्र रिसर्च से रह गया था उसके ऊपर बोर्ड इन सभी बड़ी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करेंगे ताकि ज़्यादा से ज़्यादा पानी सरस्वती नदी में 12 महीने पानी चलाया जा सके।
अभी सरस्वती नदी यमुना, मारकण्डा, टांगरी व अन्य नदियों की तरह बरसाती नदी है। इस नदी में 12 महीने पानी के लिए तो उत्तराखंड व हिमाचल की नदी चैनल पर रिसर्च बहुत ज़रूरी है इसको लेकर यह बैठक की गई। सभी अधिकारियों ने काम जल्द पूरा करने की योजना पर कार्य किया।
जीएसआई टीम ने 150 किलोमीटर लंबे यमुनानगर-कुरुक्षेत्र शुत्राना पैलियो चैनल और यमुना नदी से इसकी अपस्ट्रीम कनेक्टिविटी का भी भूभौतिकीय सर्वेक्षण के माध्यम से वर्णन किया।