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खेती के साथ मधुमक्खी पालन कर अच्छा मुनाफा कमा रहा बुडशाम का किसान बलबीर सिंह

मधुमक्खी पालक किसान के पास मिलता है अच्छी क्वालिटी का शुद्ध शहद
पानीपत में बुडशाम के पास मधुमक्खी के बाक्स में से फ्रेम निकाल कर मक्खियों को दिखाते किसान बलबीर सिंह। -हप्र
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बिजेंद्र सिंह/हप्र

पानीपत, 19 मई

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पानीपत जिला में अनेक प्रगतिशील किसान बागवानी विभाग के सहयोग से मधुमक्खी पालन का व्यवसाय अपनाकर शहद का उत्पादन कर रहे हैं। इनमें गांव बुडशाम का प्रगतिशील किसान बलबीर सिंह भी शामिल है। वह करीब 20 सालों से यह काम कर रहा है। बलबीर सिंह ने गांव बुडशाम के पास दिल्ली पैरलल नहर के किनारे और गांव जाटल के जंगल में करीब 100 बाक्स मधुमक्खियों के रखे हुए हैं और उनसे ही शहद का उत्पादन हो रहा है।

बलबीर सिंह के अनुसार शहद किसी अमृत से कम नहीं है, पर वह शुद्ध होना चाहिए। मधुमक्खी पालक किसान के पास अच्छी क्वालिटी का शुद्ध शहद मिलता है। बलबीर ने अपने शहद के प्रोडक्ट का नाम भी अमृत हनी रखा हुआ है। उसका कहना है कि शुद्ध शहद जम जाता है और लोगों को शुद्ध शहद का सेवन करना चाहिए। बलबीर अपनी पांच एकड़ जमीन में खेती करने के साथ ही मधुमक्खी पालन कर शहद का उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमा रहा है। जिले के दूसरे किसानों के लिये भी बलबीर सिंह प्रेरणास्रोत बने हुए हैं।

85 एवं 75 प्रतिशत अनुदान दे रहा बागवानी विभाग : डीएचओ

डीएचओ डा. शार्दूल शंकर ने बताया कि बागवानी विभाग द्वारा मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिये सभी प्रयास किये जा रहे हैं। मधुमक्खियों के बक्सों पर 85 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है और कोई भी किसान 50 बाक्स तक अनुदान ले सकता है। इसके अलावा किसान को अन्य सामान बाल्टी, कंघी, नेट व पैकिंग की बोतलें आदि के लिये 75 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। डीएचओ ने कहा कि मधुमक्खी शहद देने के अलावा फसलों में परागण का भी काम करती हैं और इससे फसलों की पैदावार बढ़ती है।

कीटनाशकों का स्प्रे मधुमक्खियों के लिये सबसे ज्यादा नुकसानदायक

विश्व मधुमक्खी दिवस 20 मई को मनाया जाता है और इस दिन मधुमक्खी के संरक्षण, परागण के महत्व, उनके सामने आने वाले खतरों आदि पर विचार किया जाता है। शहद और परागण आदि की प्राप्ति के लिए मधुमक्खियां पाली जातीं हैं। मधुमक्खियों की परागण में अहम भूमिका रहती है और इससे फसल की पैदावार भी बढ़ती है। किसान बलबीर सिंह जिलाभर में घूमकर किसानों को मधुमक्खियों के परागण को लेकर भी जागरूक करने का काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि फसलों पर कीटनाशक दवाईयों का किये जाने वाला स्प्रे मधुमक्खियों के लिये सबसे ज्यादा नुकसान दायक है। उनका कहना है कि मधुमक्खियों के सरंक्षण के लिये ठोस उपाय करने होगे। मधुमक्खी अक्तूबर से लेकर अप्रैल तक ही शहद देती है। मधुमक्खियों के बाक्सों को फूल वाली फसलों के पास रखना पड़ता है। उन्होंने बताया कि एक बी बाक्स में 9 फ्रेम रखे जाते हैं और उन्हीं फ्रेमों पर हजारों की संख्या में मधुमक्खी बैठती हैं।

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