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भाजपा का मजबूत किला भेदना कांग्रेस के लिए बना प्रतिष्ठा का सवाल

रमेश सरोए/हप्र करनाल, 25 सितंबर नेशनल हाइवे पर स्थित पर प्राचीन इतिहास को समेटे घरौंडा सीट प्रदेश की सबसे हॉट सीट के तौर पर देखी जाती हैं, क्योंकि सीट पर भाजपा के हरविंद्र कल्याण दो बार से लगातार विधायक चुने...

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रमेश सरोए/हप्र

करनाल, 25 सितंबर

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नेशनल हाइवे पर स्थित पर प्राचीन इतिहास को समेटे घरौंडा सीट प्रदेश की सबसे हॉट सीट के तौर पर देखी जाती हैं, क्योंकि सीट पर भाजपा के हरविंद्र कल्याण दो बार से लगातार विधायक चुने जा चुके हैं ओर तीसरी बार जीत की हैट्रिक लगाने के लिए पूरे दम से चुनावी मैदान में डटे हुए हैं। वहीं कांग्रेस की ओर से वीरेंद्र राठौर चौथी बार सीट पर किस्मत आजमा रहे हैं। 2000-2014 तक इंडियन नेशनल लोकदल का गढ़ रही सीट को भाजपा के हरविंद्र कल्याण ने झटक ली, लेकिन देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी 1991 के बाद एक बार भी नहीं जीत पाई, 33 साल से कांग्रेस पार्टी घरौंडा सीट पर एक अदद जीत के लिए तरस रही हैं। सीट पर कांग्रेस में नेताओं की खेमेबंदी आम हैं साथ ही जातीय समीकरणों की जकडऩ काफी मजबूत बनी रहती हैं। कांग्रेस प्रत्याशी 33 साल का राजनीतिक वनवास खत्म करने के लिए जुटे हैं, लेकिन ये उनके लिए इतना आसान नहीं हैं। क्योंकि उनका मुकाबला भाजपा के लगातार दो बार के विधायक रहे हरविंद्र कल्याण से हैं जिनके बारे में प्रचलित है कि वे काफी मिलनसार हैं, क्षेत्रवासियों से काफी जुड़ाव रखते हैं, जो उनकी सबसे बड़ी ताकत हैं। भाजपा में आंतरिक सतह पर भी विरोध दिखाई नहीं देता, हरविंद्र कल्याण की गिनती पूर्व सीएम मनोहर लाल, सीएम नायब सैनी के काफी करीबी नेताओं में की जाती हैं। यही वजह है कि घरौंडा क्षेत्र को बहुत बड़ी सौगात पंडित दीन दयाल उपाध्याय मेडिकल यूनिवर्सिटी मिल पाई। दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी घरौंडा सीट जीतने के लिए काफी संघर्ष करती हुई दिखती हैं। राष्ट्रीय सचिव रहे वीरेंद्र राठौर पर कांग्रेस पार्टी एक बार फिर दांव लगाया हैं, वे सीट पर पहले भी 3 बार लगातार चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन जीत नहीं पाए। वे पूरे दम के साथ चुनाव लड़ते दिखते हैं। कांग्रेस हाईकमान के नजदीकी माने जाते हैं। लेकिन कांग्रेस की टिकट पर कांग्रेस के वरिष्ट नेता रघबीर संधू, अनिल राणा, पूर्व विधायक नरेंद्र सांगवान, भूपेंद्र लाठर उर्फ भूप्पी, कृष्ण बसताड़ा, सुशील कश्यप, सतीश राणा कैरवाली आदि नेता चुनाव लड़ना चाहते थे, कई वर्षों से तैयारियां कर रहे थे।

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वीरेंद्र राठौर को टिकट मिलने से चुनाव लड़ने की आस लगाए उपरोक्त नेताओं को निराशा हाथ लगी। कई नेता खुले तौर पर विरोध तो नहीं कर रहे, लेकिन नाराजगी भी दिखा रहे हैं।

सैलजा पर टिप्पणी का भी दिख रहा असर

वहीं, सांसद कुमारी सैलजा के ऊपर की गई टिप्पणी का असर भी धरातल पर दिखाई देने लगा हैं, प्रदेश के राजनीति गलियारों में चर्चा आम हो चुकी है कि सांसद सैलजा नाराज चल रही हैं। समर्थक घर बैठकर आगामी रणनीति बनाने में जुटे हैं। भाजपा मजबूती से अपने किले को बचाने में लगी हैं, भाजपा का दावा है कि तीसरी बाद भी घरौंडा में कमल खिलेगा, वहीं कांग्रेस को यकीन है कि घरौंडा सीट जीतकर वर्षों बाद अपनी खोई जमीन हासिल होंगी।

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