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धान पर ब्लैक-स्टि्रक्ड ड्वार्फ वायरस 92 हजार एकड़ फसल हुई प्रभावित

अंबाला, यमुनानगर, पंचकूला, कैथल, कुरुक्षेत्र और जींद में फैला वायरस
श्याम सिंह राणा
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उत्तरी हरियाणा के छह जिलों – अंबाला, यमुनानगर, पंचकूला, कैथल, कुरुक्षेत्र व जींद में धान की फसल सदर्न राइस ब्लैक-

स्टि्रक्ड ड्वार्फ वायरस की चपेट में आ गई है। अनुमान के मुताबिक, लगभग 92 हजार एकड़ धान की फसल इस वायरस से प्रभावित है। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विभाग की टीम लगातार सर्वेक्षण कर रही है ताकि प्रभावित क्षेत्र और फसल की स्थिति का सही आंकड़ा मिल सके।

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कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने बताया कि इस वायरस का असर मुख्यतः हाइब्रिड धान की किस्मों में देखा गया है। पीआर किस्म सहित पीआर-114, पीआर-1509 और अन्य हाइब्रिड किस्मों में इसका प्रकोप अधिक है। प्रभावित फसल की रोपाई 15 जून से पहले की गई थी। वायरस सफेद पीठ वाली फुदका नामक कीट द्वारा फैलता है, जो संक्रमित पौधों से स्वस्थ पौधों तक वायरस पहुंचाता है। इससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है और धान की पैदावार प्रभावित होती है।

कैथल से कांग्रेस विधायक आदित्य सुरजेवाला और इनेलो विधायक अर्जुन चौटाला ने विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान इस वायरस के बढ़ते प्रकोप को लेकर सरकार पर आरोप लगाया कि क्विक रिस्पॉन्स टीम नहीं बनाई गई।

कृषि मंत्री ने इसका जवाब देते हुए कहा कि राज्य में कुल 40 लाख एकड़ में धान की रोपाई की गई है। प्राकृतिक खेती और सीधी बिजाई वाले क्षेत्रों में इस वायरस का प्रकोप नहीं है।

सर्वेक्षण और वैज्ञानिक कदम

कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विभाग की टीम ने संक्रमित पौधों के नमूने लेकर आरटी-पीसीआर तकनीक से परीक्षण किया। सर्वेक्षण में पाया गया कि सबसे ज्यादा हाइब्रिड धान प्रभावित है, इसके बाद गैर-बासमती और फिर बासमती किस्में। कृषि मंत्री ने बताया कि प्रभावित जिलों में 656 एकड़ में धान की दोबारा रोपाई भी की गई है। एसआरबीएसडीवी से बचाव के लिए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने एडवाइजरी जारी की है। साथ ही प्रभावित जिलों में 235 जागरूकता शिविर आयोजित किए गए, जिनमें किसानों को वायरस की पहचान और बचाव के उपाय बताये गए।

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