राष्ट्र निर्माण के सच्चे शिल्पकार थे बाऊजी ओपी जिंदल
राजनीति, उद्योग, समाजसेवा और जनकल्याण को नई दिशा देने वाले बाऊजी ओमप्रकाश जिन्दल करोड़ों लोगों के प्रेरणास्रोत रहे हैं। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि संकल्प, सेवा और समर्पण से कोई भी व्यक्ति समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। 7 अगस्त 1930 को हिसार के नलवा गांव के एक साधारण किसान परिवार में जन्मे ओमप्रकाश जिन्दल ने अपनी दूरदृष्टि, मेहनत और लगन के बल पर शून्य से शिखर को छुआ। वे न केवल इस्पात उद्योग के पुरोधा माने जाते हैं, बल्कि गरीबों-जरूरतमंदों की सेवा में भी उन्होंने एक नया अध्याय रचा। वे गांव-गांव तक शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य आधुनिक सुविधाएं पहुंचाने के लिए आजीवन संघर्षरत रहे। स्कूल, कॉलेज, महिला प्रशिक्षण केंद्र, मेडिकल वैन, स्वास्थ्य शिविर समेत अनेक योजनाएं उनके सामाजिक सरोकारों का जीवंत उदाहरण हैं। बाऊजी ने हिसार, दिल्ली, रायगढ़ जैसे अनेक स्थानों पर शैक्षिक संस्थानों की स्थापना की। विशेषकर बेटियों की शिक्षा के लिए वे अत्यंत प्रतिबद्ध थे। इसी सोच से उन्होंने हिसार में विद्यादेवी जिन्दल स्कूल की स्थापना की, जो आज अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त संस्थान है। उनकी इसी विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए उनके बेटे नवीन जिन्दल ने ओपी जिन्दल ग्लोबल यूनिवर्सिटी सोनीपत और ओपी जिन्दल यूनिवर्सिटी रायगढ़ जैसी संस्थाएं स्थापित कीं, जो आज विश्व स्तर पर भारत की शैक्षिक पहचान बन चुकी हैं।
हिसार से तीन बार रहे विधायक
हिसार से 3 बार विधायक और कुरुक्षेत्र से सांसद रहते हुए उन्होंने अपने हर कार्य में लोकहित को सर्वोपरि रखा। जनता से उनका संबंध आत्मीय था और इसी आत्मीयता के कारण उन्हें आज भी बाऊजी कहकर श्रद्धा से याद किया जाता है। आज उनके सपनों को साकार करने में नवीन जिन्दल उसी समर्पण के साथ जुटे हैं। वे शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, कौशल विकास, महिला सशक्तिकरण और युवा उत्थान के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं। महात्मा फुले इंटरनेशनल स्किल सेंटर, कुरुक्षेत्र इंटरनेशनल स्किल सेंटर और करियर काउंसलिंग जैसी पहल युवाओं को आत्मनिर्भर भारत की ओर अग्रसर कर रही हैं।