जागरुकता और सख्ती से बनी बात, जींद में पराली जलाने के मामले 4 गुना घटे
प्रशासन की सख्ती और किसानों में बढ़ती जागरुकता का असर इस साल जींद जिले में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। पिछले साल की तुलना में इस बार धान की पराली जलाने के मामलों में चार गुना से भी...
प्रशासन की सख्ती और किसानों में बढ़ती जागरुकता का असर इस साल जींद जिले में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। पिछले साल की तुलना में इस बार धान की पराली जलाने के मामलों में चार गुना से भी अधिक कमी आई है। कृषि विभाग के अनुसार, पिछले वर्ष अब तक जिले में पराली जलाने के 52 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि इस साल अब तक केवल 8 मामले सामने आए हैं। इन मामलों में शामिल किसानों पर 60 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
कृषि उप-निदेशक डॉ. गिरीश नागपाल ने बताया कि विभाग की टीमों ने अब तक खेतों में 12 फायर लोकेशन की जांच की, जिनमें से 8 स्थानों पर पराली जलाने की पुष्टि हुई। विभाग लगातार किसानों को पराली न जलाने और उसे आमदनी का जरिया बनाने के लिए प्रेरित कर रहा है। कई किसान पराली को बेचकर या खेत में मिलाकर पर्यावरण संरक्षण में सहयोग दे रहे हैं।
उधर, उपायुक्त मोहम्मद इमरान रजा ने कहा कि पराली जलाना प्रदूषण के साथ-साथ भूमि की उर्वरता के लिए भी नुकसानदायक है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे पराली प्रबंधन के आधुनिक विकल्प अपनाएं। सरकार की सीआरएम योजना के तहत पराली न जलाने वाले किसानों को प्रति एकड़ 1200 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है, जबकि पराली जलाने पर 30 हजार रुपये जुर्माना और छह माह की सजा का प्रावधान है।
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि जींद में इस बार खराब एक्यूआई का मुख्य कारण पराली नहीं, बल्कि टायर जलाने वाली फैक्टरियां हैं, जो हवा में जहरीला धुआं फैला रही हैं। प्रशासन ने इन पर भी कार्रवाई के संकेत दिए हैं।

