उत्तराखंड में मलबे में बह गया आश्रम, सेवादार भी लापता
गंगोत्री से 18 किलोमीटर पहले स्थित धराली गांव मंगलवार को जलप्रलय के चलते मलबे में दब गया। इस गांव से पानीपत का विशेष लगाव रहा है। उत्तर काशी से गंगोत्री जाने के रास्ते में धराली गांव मुख्य ठहराव स्थल है। इस गांव में तपोवनी माता सुभद्रा की कुटिया (आश्रम) बना हुआ। तपोवन के बाद इसी कुटिया में माता सुभद्रा तपस्या किया करती थी। वर्ष 2021 में उनका देहांत हो गया था। पानीपत की श्री कैलाशी सेवा समिति जो पिछले 30 वर्षों से उत्तरकाशी, गंगोत्री हिमालय क्षेत्र में तप करने वाले संतों के लिए राशन उपलब्ध करवाती है। माता सुभद्रा के आश्रम में भी अन्न उपलब्ध करवा रही थी।
माता सुभद्रा की कुटिया में पानीपत के लोगों का आना जाना रहा है। देहांत से पहले माता सुभद्रा ने पानीपत की कैलाशी सेवा समिति को कुटिया आश्रम की देख-रेख का जिम्मा सौंप दिया। वर्ष-2021 से इस आश्रम की देखभाल पानीपत की कैलाशी सेवा समिति कर रही है। कैलाशी सेवा समिति के प्रधान अशोक ने बताया कि माता ने तपोवन के बाद धराली तथा उत्तर काशी में गंगोली गांव में अपने आश्रम बनाए। दिल्ली वासियों ने गंगोरी आश्रम का निर्माण किया। इन आश्रम में धर्म ध्यान के साथ ही चिकित्सा सेवा भी उपलब्ध करवाई गई। गंगोरी आश्रम की देखरेख दिल्ली वासी कर रहे हैं।
जबकि धराली की जिम्मेदारी पानीपत के निवासी निभा रहे हैं। अशोक ने बताया कि साल में दो बार छह-छह माह के अंतराल में पानीपत से राशन गंगौत्री क्षेत्र में गुफाओं से लेकर आश्रम, मंदिरों में तपस्या कर रहे साधु-संतों के लिए जाता रहा है। 30 वर्षों से सेवा चल रही है। पिछले तीन वर्षों से सावन का भंडारा भी लगाया जाने लगा है।
माता सुभद्रा के आश्रम की देख रेख के लिए सेवादार भी कैलाश सेवा समिति ने ही नियुक्त किया हुआ। जलप्रलय में पूरा धराली गांव तबाह हो गया। माता का आश्रम भी बह गया। सेवादार का भी कुछ अता पता नहीं है। इस घटना से पानीपत के लोगों का गहरा धक्का लगा है। कुटिया में भजन कीर्तन करने वालों का अता-पता भी नहीं मिल रहा है। माता के आश्रम में ही पानीपत के लोग केदारनाथ की यात्रा के दौरान जरूर रुखते थे। उनके जाने के बाद भी पानीपत के लोगों का पूर्व की भांति आश्रम आना-जाना रहा। पिछले सप्ताह 28-29 को पानीपत से 16-17 लोगों का जत्था धराली में रुका था। जलप्रलय में धराली गांव के बह जाने से यहां के लोगों का धक्का लगा। पिछले दो दिनों से हर जानने वाले से फोन करके पता किया जा रहा है। इससे पहले 2013 में भी बादल फटने के कारण धराली गांव तबाह हुआ था। उस समय माता की कुटिया में रेत तो भर गया था लेकिन कुटिया को कोई नुकसान नहीं हुआ। कुटिया में रखा सामान विशेषकर राशन खराब हो गया। बाद में पानीपत से ताजा राशन भेजा गया लेकिन इस बार तो कुटिया तबाह हो गई। वहां सेवा देने वाले भी नहीं मिल रहे। कैलाशी सेवा समिति के प्रधान अशोक कैलाशी, कप्तान सिंह, कैप्टन अनिल कौशिक, अखिलेश मित्तल, जेपी शर्मा, कुलदीप गोयल ने बताया कि फिलहाल प्रशासन ने वहां जाने से रोक लगाई हुई है। रोक के हटने के बाद वे वहां की हालत देखने जाएंगे। इस घटना में माता के भक्तों के धराली स्थित होटल भी मलबा बन गए।