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अहंकार और परिवारवाद लोकतंत्र के लिए खतरा : सैनी

रमेश सराेए/हप्र करनाल, 25 जून मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने 25 जून 1975 को लगे आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला अध्याय बताते हुए कहा कि यह दिन संविधान हत्या दिवस के रूप में याद किया जाएगा।...
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रमेश सराेए/हप्र

करनाल, 25 जून

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मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने 25 जून 1975 को लगे आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला अध्याय बताते हुए कहा कि यह दिन संविधान हत्या दिवस के रूप में याद किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि सत्ता का अहंकार और परिवारवाद लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में आयोजित प्रेसवार्ता में मुख्यमंत्री ने कहा कि आपातकाल के दौरान प्रेस की स्वतंत्रता छीनी गई, लाखों नागरिकों को बिना मुकदमा जेल में डाला गया और अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटा गया। उन्होंने कहा कि हम उन तमाम लोकतंत्र सेनानियों को नमन करते हैं जिन्होंने अत्याचारों के बावजूद झुकने की बजाय संविधान की रक्षा की।

सीएम ने कहा कि कांग्रेस ने संविधान को ही हथियार बनाकर जनता के अधिकार छीने, लेकिन आज की सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संविधान को सर्वोच्च मानते हुए ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के मूलमंत्र पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि यह सरकार संविधान की आत्मा को मजबूती देने का काम कर रही है, न कि उसे कुचलने का।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘एक राष्ट्र-एक विधान’ की सोच के लिए अपने प्राण देने वाले डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे नेताओं के बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

व्यापारियों को मिल रही धमकियों का मुद्दा मुख्यमंत्री तक पहुंचा

चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को ज्ञापन सौंपते आढ़ती एसोसिएशन के प्रतिनिधि। -ट्रिब्यून फोटो

चंडीगढ़, 25 जून (ट्रिन्यू)

हरियाणा राज्य अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के नवचयनित पदाधिकारियों ने बुधवार को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात कर व्यापारियों को मिल रही धमकियों व अन्य समस्याओं को लेकर 15 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई सोनीपत के मेयर राजीव जैन ने की।

आढ़तियों ने मांग की कि मंडियों में व्यापार कर रहे लोगों को असामाजिक तत्वों की धमकियों से सुरक्षा दी जाए। एसोसिएशन अध्यक्ष राम अवतार तायल ने आढ़तियों की प्रमुख मांगें विस्तार से रखीं। मुख्यमंत्री ने जल्द ही अधिकारियों के साथ संयुक्त बैठक बुलाकर समाधान का आश्वासन दिया। प्रमुख मांगों में सभी फसलों की आढ़त दर 2.5% तय कर उनकी खरीद आढ़तियों के माध्यम से करवाना, आढ़ती लाइसेंस को लाइफटाइम करना, गेहूं शॉर्टेज की भरपाई के लिए 12 करोड़ रुपये का भुगतान, उतराई व सफाई की मजदूरी तय करना और मार्केट फीस व सेस की दरों को तर्कसंगत बनाना शामिल है।

इसके अलावा पंजाब की तरह जीएसटी पंजीकरण खत्म करने, बाहरी किसानों को हरियाणा में एमएसपी पर फसल बेचने की अनुमति और प्रॉपर्टी पोर्टल में सुधार की मांग की गई।

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