अर्जुन का मोह भी अवसाद का उदाहरण था, जिसे भगवान कृष्ण ने दूर किया : संधु
आयुष विवि में मानसिक रोग, आयुर्वेदिक चिकित्सा सिद्धांत और आधुनिक डायग्नोसिस पर विशेषज्ञों के व्याख्यान
श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के काय चिकित्सा विभाग में चल रहे साप्ताहिक सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम के चौथे दिन विशेषज्ञों ने मानसिक विकारों, आयुर्वेद के मूल चिकित्सा सिद्धांतों और आधुनिक डायग्नोसिस तकनीकों पर विस्तार से व्याख्यान दिए।
इस अवसर पर आयुष विवि से रिटायर्ड प्रोफेसर एवं आयुषवेदा क्लीनिक सेक्टर-8 के संचालक वैद्य बलबीर सिंह संधु ने कहा कि मानसिक रोग सृष्टि के आरंभ से ही विद्यमान हैं, लेकिन आज की भागदौड़ और तनावपूर्ण जीवनशैली के कारण इनके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि विश्व की लगभग 11 प्रतिशत और भारत की 13.5 प्रतिशत आबादी मानसिक रोगों से प्रभावित है, जिससे आत्महत्या के मामले भी बढ़ रहे हैं।
प्रो. संधु ने महाभारत के प्रसंग का उल्लेख करते हुए बताया कि अर्जुन का मोह भी अवसाद का उदाहरण था, जिसे भगवान कृष्ण ने दूर किया। उन्होंने आयुर्वेद में मानसिक रोगों के लिए औषध चिकित्सा, सत्त्वावजय और दैव व्यपाश्रय (साइकोथेरेपी) जैसे उपाय बताए। साथ ही नियमित ऋतुचर्या, सदवृत्त और योग को मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक बताया।
कार्यक्रम में चौधरी ब्रह्म प्रकाश आयुर्वेदिक कॉलेज, नई दिल्ली के एसोसिएट प्रोफेसर योगेश कुमार पांडे ने आयुर्वेद के मूल सिद्धांतों जैसे सामान्य विशेष सिद्धांत, कार्य कारण सिद्धांत और स्वाभाविक प्रमेय पर प्रकाश डाला। वहीं, सोसाइटी फॉर फिटल मेडिसिन की सदस्य एवं रेडियो-डायग्नोसिस विशेषज्ञ डॉ. अदिति सिंघल ने अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे और फाइब्रोस्कैन के महत्व पर व्याख्यान दिया।
उन्होंने फैटी लीवर, सिरोसिस और ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारियों की शुरुआती पहचान के लिए इन तकनीकों को जरूरी बताया। कार्यक्रम में काय चिकित्सा विभाग की चेयरपर्सन प्रो. नीलम, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नेहा लांबा, सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रीति गहलावत समेत अन्य फैकल्टी सदस्य और विद्यार्थी उपस्थित रहे।