पावर लिफ्टिंग में विश्व चैंपियन बना अंश, थाईलैंड में जीते 2 स्वर्ण पदक
फैटी से फिट का सफर : वजन घटाने की कोशिश से मिली अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि
डेढ़ साल पहले 120 किलो वजन से परेशान रोड़ांवाली का अंश जुनेजा आज अंतर्राष्ट्रीय पहचान का चमकता नाम है। जिस शरीर से वह चिंतित था, वही शरीर अब उसकी और देश की ‘शान’ बन गया है। थोड़े समय की मेहनत से थाईलैंड में 2 स्वर्ण जीतकर उसने दिखा दिया कि दृढ़ इरादों से कमजोरी ताकत बन सकती है। अंश ने थाईलैंड के पटाया में यूनाइटेड वर्ल्ड स्पोर्ट्स एंड फिटनेस फेडरेशन की पावर लिफ्टिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप 2025 में भारत का प्रतिनिधित्व किया। अंडर-23 के 120 किलो वर्ग में 17 देशों के शक्तिशाली लिफ्टर्स को पछाड़ते हुए उसने डेड लिफ्ट व बेंच प्रेस दोनों में स्वर्ण पदक पर कब्जा किया।
अंश के पिता अश्विनी कुमार की गांव में किराना की दुकान है और परिवार का खेलों से कोई संबंध नहीं। बढ़ते मोटापे से दुखी होकर उसने वज़न घटाने के लिए गांव खुब्बन की एक जिम में जाना शुरू किया, जहां कोच गुरकर्णबीर सिंह संधू से उसकी मुलाकात हुई जो जिंदगी का टर्निंग पॉइंट बनी। कोच की गाइडेंस में वह डेढ़ वर्ष में अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच गया। अंश ने बाबा वधावा सिंह विद्या केंद्र, रोडांवाली से मैट्रिक व किड्स किंगडम स्कूल सिंघेवाला से 12वीं की पढ़ाई की। बारहवीं में जिला स्तर पर स्वर्ण और राज्य स्तर पर तीसरा स्थान हासिल किया। इसके बाद ओपन फेडरेशन मुकाबलों में शामिल होकर करीब दर्जन भर स्वर्ण पदक जीते।
पिता बताते हैं कि 10 वर्ष तक अंश का वजन सामान्य था, पर गले के फोड़े के ऑपरेशन के बाद अचानक वजन बढ़ना शुरू हुआ। परिवार चिंतित था। जिम भेजने के बाद कोच ने भारी वजन को ही उसकी ताकत बनाकर जीवन बदल दिया। मामा प्रदीप कुमार ने अंश की उपलब्धि को देश और परिवार के लिए गौरव बताया। वर्तमान में वह पटियाला की महाराजा भूपिंद्र सिंह स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी से बीपीईएस कर रहा है। अभी वजन 122 किलो है, लक्ष्य 15 किलो और घटाकर यूनिवर्सिटी स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करना है। उसका इरादा इंटर-यूनिवर्सिटी में 2 स्वर्ण पदक जीतकर खेल कोटे से सरकारी नौकरी का है।

