आत्मिक उन्नति के संकल्प के साथ वार्षिक सम्मेलन संपन्न
समता योगाश्रम जगाधरी में चल रहे तीन दिवसीय 97वें वार्षिक सम्मेलन का भव्य समापन रविवार आत्मिक उन्नति के संकल्प के साथ हो गया। देश-विदेश से आए अनुयायियों की सेवा में वरिष्ठ वक्ताओं द्वारा विचार प्रस्तुत किए गए। संगत को संबोधित...
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समता योगाश्रम जगाधरी में चल रहे तीन दिवसीय 97वें वार्षिक सम्मेलन का भव्य समापन रविवार आत्मिक उन्नति के संकल्प के साथ हो गया। देश-विदेश से आए अनुयायियों की सेवा में वरिष्ठ वक्ताओं द्वारा विचार प्रस्तुत किए गए।
संगत को संबोधित करते हुए लेखराज हांडा ने कहा कि मनुष्य जन्म परमात्मा की सबसे उत्कृष्ट उत्पत्ति है जो शुद्ध प्रारब्ध कर्मों के फलस्वरूप प्राप्त होता है। मनुष्य जीवन में संचित और इस जन्म के अर्जित कर्मों का भोग भोगने के अतिरिक्त, जन्म मरण के चक्र से छूट पाने की व्यवस्था और स्वतंत्रता भी प्राप्त है।
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उन्होंने कहा कि इसी महान कार्य के लिए वास्तव में मनुष्य जन्म प्राप्त हुआ है। इसके लिए आत्मलीन सद्गुरु की खोज करना और उनकी कृपा का पात्र बनना आवश्यक है। लेखराज हांडा ने कहा कि सत्गुरु को भी सच्चे शिष्यों की तलाश रहती है। उनके 1 कदम के साथ, गुरु 10 कदम उनकी ओर बढ़ते हैं, और हर शिष्य को मनुष्य जीवन का वास्तविक लक्ष्य, अनंत शान्ति प्राप्त करने की परिपूर्णता तक, मार्गदर्शन करते हैं। इस अवसर पर संगत ने लंगर में प्रसाद ग्रहण किया ।
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