पढ़ाई के साथ कौशल, राेजगार पर फोकस कर कायम की मिसाल
एमटैक कम्प्यूटर साइंस की छात्रा स्वाति ने मेडिसिनल मशरूम की खेती और नवाचार से हािसल किया मुकाम
आमतौर पर विद्यार्थी जीवन में शिक्षा ग्रहण करने पर ही फोकस किया जाता है और विद्यार्थी सिर्फ पढ़ाई करने को ही अपना कर्तव्य समझते हैं। पढ़ाई के साथ-साथ कौशल और रोजगार पर ध्यान ही नहीं किया जाता। परंतु गोहाना के खानपुरकलां स्थित भक्त फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय की छात्रा स्वाति सैन ने इस परिपाटी को तोड़ा और कुछ कर गुजरने की चाह में नयी परंपरा की नींव डाली और अपना मुकाम हासिल किया। वीरेंद्र बाजवान और दर्शन देवी की बेटी स्वाति सैन अपने माता-पिता के साथ मिलकर पढ़ाई के साथ चार मेडिसिनल मशरुमों की खेती और उनसे मूल्य संवार्दित उत्पाद बनाने के काम में जी जान से जुटी है और स्टूडेंट रहते ही अपनी एक अलग पहचान बनाई है। स्वाति ने मेडिसिनल मशरुम की खेती को नए आयाम दिये। गोहाना से 25 साल पहले मोरनी के थाना बड़ियाल गांव में बसे बाजवान परिवार ने मशरूम की खेती में नवाचार कर नयी मिसाल कायम की। स्वाति ने अपने पिता के साथ मिलकर मशरूम की औषधीय किस्मों को दवाइयों के रूप में विकसित करने का इरादा किया। एमटैक कम्प्यूटर साइंस की पढ़ाई के साथ उसने मेडिसिनल मशरुम में नवाचार किया। लगातार तीन साल से मेडिसिनल मशरुम की खेती के साथ स्वाति कृषि मेलों, सेमिनारों, कृषि विश्वविद्याल्यों और कृषि वर्कशाप में किसानों और कृषि विद्यार्थियों को मशरुम उत्पादों पर जानकारियां उपलब्ध करवा रही है।
मेडिसिनल मशरुम गैनोडर्मा, सिटाके, हिरेशिएम और कोर्डिसेप्स मिलिटारिस की खेती करने के अलावा इनकी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सेल और मार्केटिंग की चुनौतियों पर ध्यान देकर स्वाती ने इनसे जुड़ी समस्याओं का समाधान किया। स्वाति मशरुम क्षेत्र में कल्चर से कैप्सूल बनाने के साथ ही वेल्डिंग, टर्निंग, मशीनिंग और दूसरे अन्य तकनीकी काम भी कर लेती है। पहाड़ी क्षेत्र मोरनी हिल्स में नवाचारों पर काम करके अब इसे बड़ा स्वरूप देने के लिए स्वाति ने सोनीपत के गांव कथुरा को चुना है। गांव कथुरा में मशरुम अनुसंधान और शिक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय मशरुम इंस्टीट्यूट की स्थापना पर काम किया जा रहा है। स्वाति का कहना है कि प्रत्येक बेटी को शिक्षा के साथ साथ कौशल और स्वयं रोजगार पर ध्यान देना चाहिए।