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चुलकाना का अमृत सरोवर देखरेख की कमी से हुआ बदहाल

तीन वर्ष पहले 55 लाख से हुआ था निर्माण, अब तालाब किनारे कूड़े और उपलों की भरमार

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चुलकाना धाम में बनाये गए अमृत सरोवर की बदहाल हालत। -निस
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विनोद लाहोट/निस

समालखा, 18 मार्च

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किये गए अमृत सरोवर अभियान के तहत खंड के गांव चुलकाना में 55 लाख रुपये की लागत से बनाया गया अमृत सरोवर देखरेख के अभाव में बदहाल हो गया है। आलम ये है कि गंदगी के कारण सरोवर का पानी बदबूदार हो रहा है। सरोवर की पटरी पर उपलों के ढेर लगे हैं। हरियाली के लिए लगाए गए पौधे सूख गए हैं। ट्री-गार्ड व बेंच शोपीस बने हैं। हरियाली की कमी और बदबू के कारण ग्रामीण सरोवर पर अब सैर-सपाटा करने नहीं आते। सुप्रसिद्ध श्री श्याम बाबा मंदिर के पास फिरनी पर 3 एकड़ में बनाया गया यह अमृत सरोवर अब नशेड़ियों का अड्डा बना हुआ है। उल्लेखनीय है कि चुलकाना गांव समालखा ब्लॉक का सबसे बड़ा गांव है। प्रदेशव्यापी अमृत सरोवर अभियान के अंतर्गत गांव में 55 लाख रुपये की लागत से बनने वाले अमृत सरोवर के निर्माण के लिए साल 2022 की 1 मई को तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कर कमलों से शिलान्यास किया गया, जिसका निर्माण तीन माह के भीतर 6 सितंबर को पूरा किया गया था। उस समय तालाब की खुदाई के साथ सरोवर के चारों ओर पटरी बनाई गई, जिस पर इंटरलॉकिंग टाइल्स लगाने के साथ हरियाली के लिए ट्री-गार्ड व पौधे भी लगाए गए थे।

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सोलर लाइट और सैर-सपाटा करने आने वालों के लिए बेंच लगाई गई थी। सरोवर के पानी का सिंचाई में उपयोग हो इसके लिए गंदे पानी से कचरा संशोधन करने की व्यवस्था की गई थी। इसके लिए सोलर पंप लगाया गया था, लेकिन ग्राम पंचायत की उदासीनता के चलते सारी व्यवस्था बेकार साबित हुई। सरोवर ग्रामीणों के काम नहीं आया।

ग्रामीण सुरेश व गुलाब उर्फ़ रमलू ने कहा कि सरकार के लाखों रुपये खर्च होने के बाद भी इस सरोवर का ग्रामीणों को कोई फायदा नहीं हो रहा है। तालाब के पानी से बदबू आती है। कचरा शोधन नहीं होने से आबादी का

गंदा पानी सीधे तालाब में जाता है। गंदगी के कारण लोग यहां घूमने नहीं आते हैं। महेंद्र व अजय ने बताया कि सरोवर में लोग कचरा फेंकते हैं। तालाब के चारों तरफ हरियाली के लगाए पेड़-पौधे सूख गए हैं। पटरी पर महिलाएं उपले बनाती हैं, जिससे लोग यहां घूमने नहीं आते। तालाब में बदबूदार पानी होने से लोग सिंचाई में इसका उपयोग नहीं करते हैं।

पंप बंद पड़ा है। पहले यह पशुओं को पानी पिलाने के काम आता था। उन्होंने बताया कि शाम ढलते ही नशेड़ी तालाब की पटरी पर मंडराने लगते हैं। सरेआम नशा करते हैं। महिलाएं शाम के बाद तालाब की ओर नहीं आती हैं। शराबियों ने दो बेंच पटरी से उठाकर खेत में डाल रखे हैं। पटरी पर लगी अधिकतर लाइटें बंद पड़ी हैं। पड़ोसी जबर सिंह राठी ने बताया कि फिरनी किनारे सरोवर के मुहाने पर कूड़े के ढेर लगे हैं। अब तो लोग सरोवर के अंदर भी कचरा फेंकने लगे हैं। ग्राम पंचायत का सरोवर की तरफ कोई ध्यान नहीं है। चुलकाना धाम के सरपंच सतीश छौक्कर ने सरोवर की दुर्दशा के लिए पंचायत विभाग को दोषी ठहराते हुए कहा कि अमृत सरोवर उसके कार्यकाल से पहले बना है, विभाग ने अभी तक ग्राम पंचायत को हैंडओवर नहीं किया। ग्राम पंचायत के पास सिर्फ चार सफाई कर्मचारी हैं, बावजूद इसके उसने दो तीन बार सफाई करवा चुके है। उन्होंने बताया कि पुलिस से बात कर नशेड़ियों पर लगाम लगाई जाएगी।

पंचायतीराज विभाग के एसडीओ बोले

समालखा पंचायतीराज विभाग के एसडीओ कमल शर्मा व कनिष्ठ अभियंता धर्मवीर सिंह ने बताया कि 2022 मे 55 लाख रुपये से इसका निर्माण हुआ था। इसकी देखरेख की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की है। पंचायत को इसकी सफाई करवाने के साथ पौधों की देखभाल करनी चाहिए थी। एसडीओ कमल शर्मा ने बताया कि तालाब के अंदर गंदगी को रोकने के लिए लगाई लोहे की जाली ग्रामीणों ने उखाड़ दी, जिससे गंदगी ने सरोवर को बदबूदार कर दिया है। ग्राम पंचायत को सरोवर के सौंदर्यीकरण करने के लिए पत्र लिखकर निर्देश दिए गए हैं।

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