सीरियल किलर की गिरफ्तारी को लेकर प्रदर्शन करने वाले सभी सामाजिक कार्यकर्ता 9 साल बाद बरी
गुरुग्राम में वर्ष 2014 से मासूम बच्चियों के साथ हो रही बलात्कार और हत्या की घटनाओं के विरोध में वर्ष 2016 में प्रदर्शन करने वाले सभी नौ सामाजिक कार्यकर्ताओं को अदालत ने नौ साल बाद बाइज्जत बरी कर दिया है।...
गुरुग्राम में वर्ष 2014 से मासूम बच्चियों के साथ हो रही बलात्कार और हत्या की घटनाओं के विरोध में वर्ष 2016 में प्रदर्शन करने वाले सभी नौ सामाजिक कार्यकर्ताओं को अदालत ने नौ साल बाद बाइज्जत बरी कर दिया है। इन पर पुलिस से झड़प और कानून व्यवस्था भंग करने के आरोप लगाए गए थे। प्रदर्शन की यह घटना 16 दिसंबर 2016 की है, जब बड़ी संख्या में लोग गुरुग्राम पुलिस कमिश्नर कार्यालय की ओर बढ़े थे।
प्रदर्शनकारियों में पीड़ित बच्चियों के परिजन और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे। पुलिस ने उन्हें फव्वारा चौक पर ही रोक दिया था, जिससे पूरा चौक जाम हो गया। स्थिति बिगड़ने पर पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा, जिसमें कुछ पुलिसकर्मी घायल भी हुए थे।
इस घटना के बाद पुलिस ने नौ सामाजिक कार्यकर्ताओं – ऋतुराज, राजीव मित्तल, संजय ठकराल, सत्य प्रताप, कुमार धनराज, सोनिया, माही शर्मा, राजबाला और सुषमा त्यागी – को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इनमें से एक आरोपी, कुमार धनराज की बाद में मृत्यु हो गई थी।
2018 में सीरियल किलर की गिरफ्तारी से खुला राज
वर्ष 2018 में गुरुग्राम पुलिस ने एक अन्य बच्ची के बलात्कार के मामले में सुनील नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। जांच में सामने आया कि वह हर घटना के समय घटनास्थल के पास मौजूद था। सुनील पर देशभर में 14 मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार और हत्या करने के आरोप हैं।
गुरुग्राम की घटनाओं में पीड़ित पक्ष की वकील डॉ. अंजू रावत नेगी ने दो मामलों में दोष सिद्ध करवाया। एक केस में सुनील को फांसी और दूसरे में उम्रकैद की सजा हुई थी। हरियाणा हाई कोर्ट ने फांसी की सजा को बरकरार रखा, लेकिन 15 दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस सजा को होल्ड पर डालते हुए गुरुग्राम कोर्ट और पुलिस से रिपोर्ट मांगी है।
आरोप साबित न होने पर सभी प्रदर्शनकारी बरी
प्रदर्शन के दौरान दर्ज केस में अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि सभी आठ जीवित आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं, इसलिए उन्हें बाइज्जत बरी किया जाता है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं की वकील सीमा शर्मा ने फैसले के बाद कहा, "जिन लोगों ने बच्चियों के इंसाफ के लिए सड़क पर लड़ाई लड़ी, उन्हें नौ साल तक कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। अब जाकर न्याय मिला है लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि 14 बच्चियों की हत्या करने वाले आरोपी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है।"
मुख्य बिंदु:
- 2014 से गुरुग्राम में बच्चियों के साथ हो रही घटनाओं के विरोध में 2016 में हुआ था प्रदर्शन
- 9 सामाजिक कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज, एक की मृत्यु, बाकी 8 अब बरी
- 2018 में सीरियल किलर सुनील गिरफ्तार, दो मामलों में दोष सिद्ध
- सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा पर हाल ही में लगाई रोक
- सामाजिक कार्यकर्ताओं को मिला न्याय, पर सवाल अब भी बाकी