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कृषि विभाग ने मंडी व गोदाम में की रेड, यूरिया खाद के 672 कट्टे बरामद

किसानों की सब्सिडी वाले यूरिया खाद की कालाबाजारी रुकने का नाम नहीं ले रही। आज फिर एक मामला सामने आया है, जिसमें यूरिया के 240 कट्टे एक पैलेस में रखे गए थे, जबकि 432 कट्टे मंडी में एक गोदाम में...
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यमुनानगर के साढौरा में कार्रवाई करती कृषि विभाग की टीम। -हप्र
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किसानों की सब्सिडी वाले यूरिया खाद की कालाबाजारी रुकने का नाम नहीं ले रही। आज फिर एक मामला सामने आया है, जिसमें यूरिया के 240 कट्टे एक पैलेस में रखे गए थे, जबकि 432 कट्टे मंडी में एक गोदाम में रखे गए थे। कृषि विभाग को इसकी सूचना मिली। मौके पर पुलिस के साथ छापेमारी की गई तो साढौरा अनाज मंडी दुकान के गोदाम में रखे 432 कट्टे यूरिया खाद के बरामद किए गए।

इसी तरह रॉयल पैलेस में रखे 240 कट्टे यूरिया खाद के कब्जे में लिए गए। उप कृषि निदेशक डॉ. आदित्य डबास ने बताया कि विभाग को सूचना मिली थी कि किसानों के सब्सिडी वाले यूरिया खाद को प्लाइवुड फैक्टरी में बेचने के लिए किसी गोदाम और पैलेस में रखा गया है। मौके पर जांच की तो सूचना सही पाई गई। दोनों जगह से 672 कट्टे कब्जे में लिए गए। मौके पर विभाग के गुणवत्ता नियंत्रण निरीक्षक बालमुकुंद को बुलाया गया, जिन्होंने बरामद की गई यूरिया के सैंपल लिए। यह मामला साढौरा पुलिस को सौंप दिया गया है। अब पुलिस इस मामले में पूरी जांच करके आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। उप कृषि निदेशक ने बताया कि साढौरा के विक्रेता को भी लाइसेंस रद्द करने का नोटिस दिया जाएगा, क्योंकि उन्हीं के यहां से यह यूरिया निकला था। वास्तव में किसानों की सब्सिडी वाला यूरिया लगभग 270 रुपए का कट्टा मिलता है, जबकि प्लाईवुड फैक्ट्री में इस्तेमाल होने वाले यूरिया की कीमत 2000 रुपये प्रति बैग है। कुछ दलाल सक्रिय होकर किसानों के सब्सिडी वाले यूरिया को लेकर बीच में मुनाफा कमा कर प्लाइवुड फैक्टरी में बेच देते हैं। यह धंधा लंबे समय से चल रहा है। उप कृषि निदेशक ने बताया कि इस मामले में विभाग द्वारा लगातार छापेमारी की जाती रहती है, ताकि किसानों के सब्सिडी वाले यूरिया का दुरुपयोग ना हो, लेकिन इसके बावजूद ऐसे मामले सामने आते हैं जहां विभाग द्वारा कार्यवाही की जाती है।

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