Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

कृषि तकनीकी प्रदर्शनी एवं स्टार्टअप कॉन्क्लेव आयोजित

कुरुक्षेत्र, 10 मई (हप्र) किसी भी देश के लिए किसान व जवान सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। युद्ध कितना भी लंबा चले खेती कम नहीं होनी चाहिए। इस समय देश में अन्न भंडार भरे हुए हैं। किसी भी प्रकार की दिक्कत...
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
कुरुक्षेत्र में शनिवार को आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते प्रदेश के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा। -हप्र
Advertisement

कुरुक्षेत्र, 10 मई (हप्र)

किसी भी देश के लिए किसान व जवान सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। युद्ध कितना भी लंबा चले खेती कम नहीं होनी चाहिए। इस समय देश में अन्न भंडार भरे हुए हैं। किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं है। किसानों द्वारा खेती को राष्ट्र के लिए करनी होगी। ऐसा सोचकर किसान यदि कृषि के क्षेत्र में आए तो राष्ट्र की तरक्की होगी। जो व्यक्ति जिस रास्ते पर चलेगा वो उसी राह पर चलते हुए विकास करवाकर विकसित भारत में सहयोग करेगा। वैश्विक तरीके से खेती करने से अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। ये विचार कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने शनिवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के सभागार में नवीन जिंदल फाउंडेशन द्वारा आयोजित तीन दिवसीय कृषि-तकनीकी प्रदर्शनी एवं स्टार्टअप कॉन्क्लेव में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि जहां हम बैठे हैं ये कुरुक्षेत्र है। यहां पर सृष्टि के लिए सबसे पहले खेती का क्षेत्र ब्रह्माजी ने तय किया था। यहीं से दूसरे क्षेत्र के लोगों को खेती करनी की सीख मिली थी। भारत कृषि प्रधान देश है। पूरी दुनिया से यदि 100 एकड़ का चयन करें तो सबसे अच्छी भूमि हमारे देश की मिलेगी। राणा ने कहा कि खेती तीन प्रकार की होती है। इसमें रासायनिक खेती, ऑग्रेनिक खेती और प्राकृतिक खेती शामिल है। हमने प्राकृतिक खेती की तरफ बढ़ना है। इसके लिए केंद्र और प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए अपनी-अपनी योजनाएं बनाकर लागू की हुई हैं। उन्होंने कहा कि किसान की आमदनी बढ़ाई जाए, खर्च कम किया जाए। पानी का कम प्रयोग हो। समय कम लगे और पैसा बने। इसके लिए सरकार ने प्रति एकड़ की खेती के लिए प्रति देशी गाय पर सब्सिडी दी जा रही है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक लाख एकड़ का लक्ष्य तय किया है। सरकार पूरी तरह से किसानों के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि घर पर गाय आने से सबसे पहले परिवार के सदस्यों के लिए दूध मिल जाता है। गाय के गोबर से जीवामृत तैयार किया जाएगा। देसी गाय के गोबर से जैविक खेती होनी संभव है। गोबर में एंटीबायोटिक का काम करती है। इससे बीमारियां भी दूर रहती है। गाय के दूध में राष्ट्र को एकत्रित रखने का गुण है। हमारे वैज्ञानिकों ने अब नस्ल सुधार पर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने गायों के लिए गौशालाओं के लिए कई योजनाएं शुरू की हुई हैं। उन्होंने बताया कि आगजनी के दौरान किसानों की गेहूं की फसल का जो नुकसान हुआ था। इसके लिए नुकसान भुगतान कर दिया गया।

Advertisement

Advertisement
×