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आदित्य सुरजेवाला ने विधानसभा में उठाया मंडी टाउनशिप व कैथल की स्वीकृत कॉलोनियों का मुद्दा

मानसून सत्र में विधायकों ने रखी अपने हलकों की समस्याएं
कैथल से विधायक आदित्य सुरजेवाला विधानसभा में अपनी बात करते हुए।  -हप्र
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हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र में कैथल से कांग्रेस विधायक आदित्य सुरजेवाला ने मंडी टाउनशिप और कैथल की स्वीकृत कॉलोनियों से जुड़ी गंभीर समस्याओं को उठाते हुए सरकार पर तीखे सवाल खड़े किए। सुरजेवाला ने कहा कि प्रदेश की 31 मंडी टाउनशिप्स, जिनमें अम्बाला, भिवानी, गुरुग्राम, हिसार, झज्जर, रेवाड़ी, सिरसा सहित कैथल की 4 टाउनशिप्स (न्यू अनाज मंडी कैथल और मॉडल टाउन सहित) शामिल हैं। लंबे समय से निर्माण मानकों से जुड़ी जटिलताओं का सामना कर रही हैं। उन्होंने विधानसभा में बताया कि 1983 में मंडी टाउनशिप विभाग का हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) में विलय हुआ था, जिसके बाद एचएसवीपी के निर्माण मानक यहां लागू हो गए, लेकिन न तो निवासियों और न ही अधिकारियों को इसकी जानकारी रही, जिसके चलते निर्माण मानकों का पालन नहीं हुआ और अधिकांश मकानों को ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट नहीं मिल पाया। सुरजेवाला ने कहा कि सरकार द्वारा 2016 और 2024 में शुरू की गई वन-टाइम सेटलमेंट योजना का लाभ भी इन टाउनशिप्स के लोग नहीं ले सके। इस पर सुरजेवाला ने मांग रखी कि मंडी टाउनशिप्स के लिए निर्माण मानकों में विशेष छूट दी जाए और वन-टाइम सेटलमेंट योजना को पुन: लागू कर निवासियों को राहत दी जाए।

कैथल विधायक ने विधानसभा में बालाजी कॉलोनी, फ्रेंड्स कॉलोनी, सुभाष नगर और जनकपुरी कॉलोनी में इंतकाल की अनियमितताओं का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि 2002 में सेक्टर-18 के लिए जमीन अधिग्रहण के समय इन कॉलोनियों की जमीन एचएसवीपी ने नहीं ली थी, लेकिन 2014-15 के बाद प्लॉट्स के इंतकाल रहस्यमय तरीके से कम कर दिए गए। आदित्य ने कहा कि 105 गज का प्लॉट अचानक 70 गज दर्ज कर दिया गया और शेष हिस्सा एचएसवीपी के नाम चढ़ गया। रिटायर्ड तहसीलदार की जांच रिपोर्ट में भी यह पुष्टि हुई कि अधिग्रहण न होने के बावजूद 2015 में इंतकाल बदले गए। अब एचएसवीपी बेदखली नोटिस जारी कर रहा है, जिससे इन कॉलोनियों के निवासी बैंक से ऋण नहीं ले पा रहे और उनकी संपत्तियों का मूल्य अन्य स्वीकृत कॉलोनियों की तुलना में काफी कम हो गया है। सुरजेवाला ने सरकार से मांग की कि कैथल की इन कॉलोनियों के इंतकाल तुरंत बहाल किए जाए और निवासियों को अनावश्यक उत्पीड़न से राहत दी जाए।

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