गुरु हरगोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व पर गुरुद्वारे में हुआ कार्यक्रम
जींद, 13 जून (हप्र) : मीरी पीरी के बादशाह छठी पातशाही गुरु हरगोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व जींद के ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब में धूमधाम व श्रद्धा से मनाया गया। इस अवसर पर गुरुद्वारा साहिब में धार्मिक दीवान सजाया गया, जिसमें सबसे पहले गुरुद्वारा साहिब के रागी जसबीर सिंह रमदसिया के रागी जत्थे द्वारा गुरुबाणी शब्द गायन किए गए।
गुरु हरगोबिंद सिंह के इतिहास पर डाला प्रकाश
उसके बाद गुरुद्वारा साहिब के हेड ग्रंथी एवं प्रसिद्ध कथा वाचक गुरविंदर सिंह रत्तक ने गुरु के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गुरु हरगोबिंद सिंह ने गुरु गद्दी संभालने के बाद दो तलवारें धारण की थी। इन तलवारों को मीरी-पीरी का नाम दिया गया। मीरी नामक तलवार भौतिक संसार पर विजय पाने यानि युद्ध का प्रतीक थी।
गुरु ने पीरी तलवार को श्रेष्ठ माना
पीरी नामक तलवार आध्यात्मिक ज्ञान पर विजय पाने यानि धर्म व संस्कृति की रक्षा करने की प्रतीक थी। इन दोनों तलवारों में से गुरू साहिब ने पीरी को श्रेष्ठ माना था। ढाढी वारों का प्रचलन सबसे पहले गुरु के राज में ही हुआ था, क्योंकि यह माना जाता था कि ढाढी वारें युद्ध शुरू होने से पहले सैनिकों में जोश व साहस पैदा करने का कार्य करती थी। आज भी ढाढी जत्थे सिख इतिहास की कुर्बानियों को अपनी वारों में पिरो कर संगतों को सुना कर निहाल करते हैं। शाहाबाद मारकंडा से आए बीबी कवलजीत कौर के नेतृत्व में बीबियों के जत्थे ने गुरु हरगोबिंद सिंह की जीवनी से संबंधित गुरुबाणी शब्दों का व्याख्यान किया।
किले में गुरु को किया था कैद
गुरुघर प्रवक्ता बलविंद्र सिंह ने बताया कि गुरु हरगोबिंद के जीवन की सबसे उल्लेखनीय घटनाओं में से एक सम्राट जहांगीर द्वारा उन्हें ग्वालियर के किले में कैद करना था। कैद में रहने के बावजूद उन्होंने अपने सिद्धांतों से समझौता करने से इनकार कर दिया और इसके बजाय उस अवसर का उपयोग साथी कैदियों तक अपनी शिक्षाओं को फैलाने में किया। इस अवसर पर गुरुद्वारा मैनेजर गुरविंदर सिंह चौगामा, जत्थेदार गुरजिंदर सिंह, इंदरजीत सिंह, जोगेंद्र सिंह पाहवा, हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की पूर्व सदस्य बीबी परमिंदर कौर, जसकरण सिंह, अशोक खुराना, कमल चुघ, विजेंदर गुंबर, सतनाम सिंह व लक्की सिंह उपस्थित रहे।
श्री गुरु हरगोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व पर सजाया महान नगर कीर्तन