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5 साल में 39 पत्र, फिर भी अस्पताल को बंदरों के आतंक से नहीं मिली मुक्ति

मरीजों, अस्पताल स्टाफ सभी के लिए बड़ा खतरा बने हुए हैं बंदर
जींद के सिविल अस्पताल में डेरा डाले बैठे बंदर, जिनके आतंक से मुक्ति नहीं मिल रही। -हप्र
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जींद के सिविल अस्पताल को बंदरों के आतंक से मुक्ति दिलवाने के लिए 5 साल में 39 पत्र लिखे जा चुके हैं। इसके बावजूद अस्पताल को बंदरों से मुक्ति नहीं मिल पाई है। अब स्वास्थ्य सुपरवाइजर संघ ने डीसी को 39 वां रिमाइंडर पत्र भेज कर अस्पताल को बंदरों के आतंक से मुक्ति दिलवाने की गुहार लगाई है।

गोहाना रोड स्थित जींद के सिविल अस्पताल में वानर सेना हर समय डेरा डाले रहती है। सेंकड़ों की संख्या में बंदर सिविल अस्पताल में हर समय मंडराते रहते हैं। कई बार तो बंदर सिविल अस्पताल की नई बिल्डिंग के अंदर घुसकर मरीज और उनके परिजनों पर हमला भी बोल चुके हैं। अस्पताल में सुंदरता के लिए लगाए गए पौधों को बंदर फूल आने से पहले पूरी तरह उजाड़ देते हैं।

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अस्पताल के साथ के बाग में लगता है जमावड़ा

जींद के सिविल अस्पताल के साथ एक धर्मार्थ ट्रस्ट का बाग है। इस भाग में बंदरों को रात और दिन के समय आराम करने का सुरक्षित ठोर मिलता है। बाग से जब मर्जी बंदरों के झुंड अस्पताल पर जब धावा बोलते हैं, तो उन्हें रोकने की हिम्मत कोई नहीं कर पाता।

बंदरों के आतंक से मुक्ति के लिये 5 साल में 39वां पत्र

ऐसा नहीं है कि जींद के सिविल अस्पताल परिसर को बंदरों से मुक्ति दिलवाने के लिए प्रशासन का दरवाजा नहीं खटखटाया गया हो। हरियाणा स्वास्थ्य सुपरवाइजर संघ ने इस सिलसिले में 27 दिसंबर 2020 को पहला पत्र डीसी को लिखा था। पत्र में डीसी से अनुरोध किया गया था कि सिविल अस्पताल को वानरों से मुक्ति दिलवाई जाए। पिछले 5 साल के दौरान स्वास्थ्य सुपरवाइजर संघ 38 पत्र डीसी को लिख चुका है। हाल ही में उसने 39 वाँ रिमाइंडर डीसी कार्यालय को भेजा है।

स्वास्थ्य सुपरवाइजर संघ के प्रदेश अध्यक्ष राममेहर वर्मा ने कहा कि सिविल अस्पताल में विचरने वाले बंदरों के झुंड मरीजों से लेकर उनके परिजनों, अस्पताल स्टाफ के लिए खतरा हैं।

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जींदजींद के सिविल अस्पतालबंदरों का आतंक
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