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बाल देखरेख संस्थानों के 2 बच्चों को मिला स्थायी रूप से पारिवारिक आश्रय

आखिरकार बाल दखरेख संस्थाओं में रह रहे 2 बच्चों को स्थायी रूप से न केवल माता का प्यार मिलना सुचिश्चित हो गया है बल्कि पिता का दुलार भी मिलेगा। हाल ही में 16 जुलाई के अंक में ‘दैनिक ट्रिब्यून’ ने...
दैनिक ट्रिब्यून के 16 जुलाई अंक में प्रकाशित एक्सक्लूसिव खबर। -हप्र
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आखिरकार बाल दखरेख संस्थाओं में रह रहे 2 बच्चों को स्थायी रूप से न केवल माता का प्यार मिलना सुचिश्चित हो गया है बल्कि पिता का दुलार भी मिलेगा। हाल ही में 16 जुलाई के अंक में ‘दैनिक ट्रिब्यून’ ने इस मुद्दे को प्रमुखता व विस्तार से उठाया था कि किस तरह से ‘अम्बाला की बाल संस्थाओं के बच्चों को पालक माता पिता की जरूरत’ है।

दरअसल चाइल्ड एडॉप्शन से सम्बंधित महिला एवं बाल विकास विभाग के मिशन वात्सल्य के अंतर्गत पंजीकृत बाल देखरेख संस्थानों राधा कृष्ण बाल आश्रम एवं वात्सल्य किशोरी कुंज नारायणगढ़, अम्बाला में आश्रित 2 बच्चों, जो कि एक लड़का एवं एक लड़की है और जिनकी आयु 12 वर्ष एवं 15 वर्ष हैं, को गोद पक्रिया के तहत गोद का स्थायी सहारा मिल गया है।

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इन बच्चों को मिशन वात्सल्य के अंतर्गत जिला बाल सरंक्षण इकाई अम्बाला के प्रयासों से केेंद्रीय दत्तक संसाधन प्राधिकरण महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (कारा) की अधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से स्थाई रूप से अभिभावकों को गोद दिया गया है।

अब इन बच्चों को स्थायी तौर पर मात-पिता के प्यार के साथ पारिवारिक माहौल भी प्राप्त होगा।

दोनों बच्चों को अलग-अलग अभिभावकों ने दोनों बच्चों को स्थायी रूप से गोद लिया है। वे सरकारी विभागों में उच्च स्तर के अधिकारियों के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जो कि मुख्य तौर पर कोलकाता एवं चेन्नई से संबंधित हैं। माना जा रहा है कि इस प्रयास से इन बच्चों के सपनों को नये पंख मिलेंगे और जो इन बच्चों के सपने हैं, उन्हें इन अभिभावकों के प्रयासों से पूरा करने में भरपूर सहयोग प्रदान होगा।

जैविक माता-पिता नहीं बने लोग ले सकते हैं गोद

जिला बाल संरक्षण अधिकारी ममता ने उक्त बालकों को माता पिता मिलने की पुष्टि करते हुए बताया कि दोनों अभिभावक, एकल अभिभावक किसी भी कारण से जैविक रूप से माता पिता नहीं बन सकें । वह कारा के कैरिंग पोर्टल पर अपना ऑनलाइन पंजीकरण कर सकते है और नियमों के अनुरूप बच्चें को गोद ले सकते हैं ताकि माता-पिता का प्यार जो हर बच्चे का अधिकार है, वो बच्चे को प्राप्त हो सके।

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