मारकंडा नदी में फिर आया 17 हजार 200 क्यूसिक पानी
सरपंचों का आरोप - प्रशासन नहीं लेता बाढ़ग्रस्त गांवों की सुध
तंगौर कलसाना, कठवा व मुगलमाजरा में कई एकड़ भूमि में खड़ी फसल बर्बाद
मारकंडा नदी में पहाड़ों से वर्षा का पानी आना जारी है। सोमवार बाद दोपहर पानी बढ़ना शुरू हुआ था जो देर रात तक बढ़कर 17 हजार 200 क्यूसिक तक पहुंच गया था लेकिन इसके बाद पानी उतरना शुरू हो गया है और समाचार लिखे जाने तक 5500 क्यूसिक पानी मारकंडा नदी में बह रहा था।
शाहाबाद ब्लॉक के गांव तंगौर, कठवा, कलसाना व मुगलमाजरा में मारकंडा नदी के पानी की मार सबसे ज्यादा होती है। यहां पर सैकड़ों एकड़ में खड़ी गन्ने की फसल व धान पूरी तरह से बर्बाद हो गई है।
गांवों के सरपंचों का आरोप है कि सरकार, मंत्री व प्रशासन किसी ने भी इन बाढ़ग्रस्त गांवों की सुध नहीं ली और यहां के ग्रामीण प्रतिवर्ष इस मार को सहते चले आ रहे हैं। बार बार मारकंडा नदी में पानी आने से शाहाबाद कठवा रोड पूरी तरह से टूट गई है और इस पर पानी बह रहा है। गांव कलसाना में भी गांव के बाहरी साईड पर सड़कों पर पानी बह रहा है व फसलों का भारी नुकसान है।
गांव कठवा में 500 एकड़ में फसलों के खराब होने का अनुमान है तथा खेतों में 4-4 फुट पानी भरा है, सड़क पर पानी बह रहा है, स्कूल जाने के लिए बच्चों को ट्रैक्टर पर बिठाकर छोड़ा जाता है क्योंकि सड़क पर पानी का बहाव तेज है जिस कारण उनके बह जाने का खतरा है।
अन्य गांवों से कटा कठवा
गांव कठवा का लिंक अन्य गांवों से टूट गया है। गांव कठवा की महिला सरपंच सुखविंद्र कौर व पूर्व सरपंच अमरिंद्र सिंह ने बताया कि यातायात प्रभावित है, सड़क पर पानी चल रहा है। पशु चारा खत्म हो गया है। बेल वाली सब्जियां नष्ट हो गई है। स्कूलों में पानी भरा है। स्कूल के अध्यापकों को ट्रैक्टर पर बिठाकर स्कूल में पहुंचाया जाता है व छुट्टी के समय उन्हें सड़क पार करवाई जाती है तथा स्कूलों में बच्चे न के बराबर आ रहे हैं।
तंगौर गांव में हालत बदतर
गांव तंगौर के सरपंच सचिन राणा, जसबीर सिंह व पूर्व सरपंच नेत्रपाल ने बताया कि गांव में हालात बदतर हैं, लगभग 200 एकड़ में खडी गन्ने की फसल बर्बाद हो गई है। इसी प्रकार धान की फसल 50 प्रतिशत खराब हो गई है और यदि इसी प्रकार पानी का आना जारी रहा तो शेष रहती फसल भी खराब हो जाएगी।