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हिमाचल में दुनिया के सबसे बड़े शैक्षिक सर्वेक्षण का आयोजन

सोलन, 5 दिसंबर (निस) विश्व के सबसे बड़ा शैक्षिक सर्वेक्षण ‘परख’ सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इसमें सरकारी, निजी, सरकारी सहायता प्राप्त और केंद्रीय विद्यालयों ने भाग लिया। यह सर्वे भारत में 4 दिसंबर को एक ही दिन में सभी राज्यों...
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सोलन, 5 दिसंबर (निस)

विश्व के सबसे बड़ा शैक्षिक सर्वेक्षण ‘परख’ सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इसमें सरकारी, निजी, सरकारी सहायता प्राप्त और केंद्रीय विद्यालयों ने भाग लिया। यह सर्वे भारत में 4 दिसंबर को एक ही दिन में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण (पीआरएस-2024) का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों की बुनियादी शैक्षिक योग्यता का आकलन करना था, जिसमें रटने की पद्धति से परे जाकर उनके वास्तविक ज्ञान और सीखने के स्तर को मापा गया। इस सर्वेक्षण का प्रमुख फोकस यह सुनिश्चित करना था कि छात्र विषयों को समझें और व्यावहारिक रूप से सीखने में सक्षम हो।

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इन विषयों को किया गया सर्वेक्षण में शामिल

शिक्षा मंत्रालय द्वारा चयनित स्कूलों की नमूना कक्षाओं और छात्रों ने इस सर्वेक्षण में हिस्सा लिया। यह सर्वेक्षण हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान विषयों में आयोजित किया गया । यह परख सर्वेक्षण कक्षा 3,6 और 9 के छात्रों पर केंद्रित था। हिमाचल प्रदेश में कुल 1212 कक्षाओं में सर्वेक्षण किया गया, जिसमें 27623 छात्र और 4331 शिक्षक शामिल हुए। इस सर्वेक्षण का संचालन परख से जुड़े लगभग 1212 फील्ड इन्वेस्टिगेटर्स और सीबीएसई से जुड़े पर्यवेक्षकों ने किया। इसके अतिरिक्त, स्कूलों के प्रधानाध्यापकों और मुख्याध्यापकों से फीडबैक भी लिया गया ताकि शिक्षा प्रणाली के विभिन्न पहलुओं का गहन मूल्यांकन किया जा सके। परख सर्वेक्षण की सफलता में शिक्षा विभाग, स्कूलों के प्रधानाध्यापकों, शिक्षकों, छात्रों और उनके अभिभावकों का अमूल्य योगदान रहा।

पहले संतोषजनक नहीं था हिमाचल का प्रदर्शन

परख एनसीईआरटी की सीईओ. प्रोफेसर इंद्राणी के नेतृत्व में पूरे देश में संचालित करवाया गया। पिछले राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस-2021) में हिमाचल प्रदेश का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं था, लेकिन इस बार सभी कमजोर क्षेत्रों पर कड़ी मेहनत की गई है। एससीईआरटी की कार्यकारी प्राचार्या प्रो. रजनी संख्यान ने कहा कि यह सर्वेक्षण शिक्षा प्रणाली के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा और शिक्षा में व्यापक सुधार का मार्ग प्रशस्त करेगा।

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