धर्मशाला, 25 मई (निस)
तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा ने कहा ‘यदि मैं लंबे समय तक जीवित नहीं रहता हूं तो संभावना है कि तिब्बती लोगों की इच्छाएं और आकांक्षाएं पूरी न हों। इसी कारण से मैं प्रार्थना करता हूं कि मैं 100 साल से अधिक समय तक जीवित रहूं और आपसे भी यही प्रार्थना करने के लिए कहता हूं।’ दलाई लामा ने यह बात बुधवार को उनकी लंबी आयु के लिए तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं द्वारा मैकलोड़गंज स्थित मुख्य बौद्ध मठ चुगलगखांग में आयोजित विशेष प्रार्थना सभा में उपस्थित बौद्ध भिक्षुओं को संबोधित करते हुए कही। धर्मगुरू दलाई लामा ने उनकी लंबी आयु के लिए आयोजित विशेष प्रार्थना सभा के लिए बौद्ध भिक्षुओं का आभार जताया। धर्मगुरू ने कहा कि डोल्मा और फुंटसोक फोडंग्स के सदस्यों ने आज श्वेत तारा के इच्छा-पूर्ति चक्र के आधार पर यह दीर्घ जीवन अर्पित किया है। प्रत्येक तिब्बती बौद्ध परंपरा की अपनी अनूठी शिक्षा है और ये शाक्य के लिए अद्वितीय शिक्षाएं हैं। मैं हर दिन हेवज्र अभ्यास करता हूं, इसलिए मुझे शाक्य अभ्यासियों की श्रेणी में गिना जा सकता है। उन्होंने कहा कि तिब्बत हमारी अपनी भूमि है और शाक्य पोनपोरी पहाड़ियों की धूसर धरती की विशेषता वाला स्थान है। हम तिब्बती वज्रयान सहित बौद्ध परंपराओं के समर्थक हैं। आप भी सूत्र और तंत्र दोनों की शिक्षाओं का संरक्षण करते हैं। मैं आपसे इन परंपराओं को जीवित रखने का अनुरोध करता हूं। मैं शाक्य दगत्री रिनपोछे को तब से जानता हूं जब वह बहुत छोटा था। मुझे अभी बस इतना ही कहना है।
समर्पण की प्रार्थना के दौरान, फूलों की पंखुड़ियों को हवा में उछाला गया। इससे पूर्व शाक्य दगत्री रिनपोछे ने परम पावन का अभिनन्दन किया।