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चंबा वासियों को दुर्गम व संकरी मार्गों से कब मिलेगी निजात

एमएम डैनियल/निसचंबा 25 फरवरी चंबा जिला दुर्गम व जोखिम भरे मार्गों के लिए विख्यात है। इनमें मुख्य रूप से चंबा-भरमौर मार्ग व चंबा-पांगी बाया साच-पास मार्ग पर लोगों की दिक्कतें खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। वर्ष में...
कुलदीप सिंह पठानिया अध्यक्ष विस हिप्र
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एमएम डैनियल/निसचंबा 25 फरवरी

चंबा जिला दुर्गम व जोखिम भरे मार्गों के लिए विख्यात है। इनमें मुख्य रूप से चंबा-भरमौर मार्ग व चंबा-पांगी बाया साच-पास मार्ग पर लोगों की दिक्कतें खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। वर्ष में लगभग छह माह तक भारी बर्फ के नीचे दबे रहे वाले पांगी का साच-पास मार्ग के विकल्प में सरकार पांगी के कबायली लोगों को चहणी-पास सुरंग का लड्डू खिला रही है। वहीं चंबा-भरमौर मार्ग पर भरमौर वासियों की दिक्कतों के हल के रूप में होली-उतराला सुरंग का सपना दिखा रही है।

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जनजातीय क्षेत्र भरमौर के लोगों की मुख्य समस्या यह है कि भौगोलिक और सामाजिक रूप से यहां के लोग चंबा की अपेक्षा प्रदेश के कांगड़ा जिला से अधिक जुड़े हुए है। जिसका कारण इस क्षेत्र के लोगों का मुख्य व्यवसाय भेड़ पालन है। यहां के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी अपनी भेड़-बकरियों के साथ धौलाधार पर्वत को लांघ कर कांगड़ा का प्रवास करते रहते हैं। ऐसे में यहां के लोगों के ज्यादातर नाते-रिश्ते कांगड़ा जिले में जुड़े हैं। मौजूदा समय में यहां के लोगों को 72 किमी का सफर कर चंबा और फिर यहां से करीब 184 किमी की यात्रा कर कांगड़ा जाना पड़ता है। ऐसे में 250 किमी की इस पूरी यात्रा के जोखिम से अब भरमौर-होली के वासी उब चुके हैं। इसके चलते होली-उतराला सुरंग निर्माण की मांग बलबती लग रही है।

सुरंग का दृश्य

उधर, चंबा-पांगी बाया साच-पास मार्ग पर कबायली क्षेत्र पांगी के लोगों के लिए लगभग 14500 फुट ऊंचा साच-पास विकराल समस्या है। इतनी ऊंचाई पर नवंबर से मार्च तक लगातार बर्फबारी होने से यह मार्ग जून के अंत बंद रहता है। ऐसे में कबायली क्षेत्र पांगी के लोगों को जिला मुख्यालय पहुंचने के लिए जेएंडके के किश्तवाड़ से होकर लगभग 630 किमी व लाहुल-स्पिति बाया कुल्लू-मनाली करीब 410 किमी की यात्रा कर जिला मुख्यालय चंबा में उपस्थिति दर्ज करवानी पड़ती है। इसके लिए ही चहणी-पास सुरंग का विचार प्रबल हुआ है।

चंबा-चुवाड़ी बाया जोत मार्ग भी भौगोलिक व आपदा प्रबंधन की वजह से लोगों के दिक्कतों का सबब बना हुआ है। अत्याधिक बर्फबारी के चलते दिसंबर से मार्च तक यहां से आवाजाही करना नामुंकिन होता है। बाकि के समय इस तंग मार्ग पर वाहन चालकों की लापरवाही भारी पड़ती है। इस संदर्भ में मंगला-चुवाड़ी सुरंग निर्माण की मांग जोर पकड़ रही है।

केंद्र का सहयोग नहीं मिल रहा : पठानिया

हिमाचल के विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सुक्खू के नेृतत्व वाली सरकार चंबा की प्रस्तावित होली-उतराला, चहणी-पास व मंगला-चुवाड़ी सुरंगों के निर्माण के लिए वचनबद्ध है। सुरंग के सर्वे की औपचारिकताएं पूर्ण की जा रही हैं। केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने पर ही इस दिशा में कार्य आगे बढ़ सकता है। लेकिन केंद्र से सहयोग नहीं मिल रहा।

 

 

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