सोलन के कोठों स्थित मानव मंदिर इंटीग्रेटेड मस्कुलर डिस्ट्रॉफी रिहैब सेंटर में रविवार को विश्व मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जागरूकता दिवस मनाया गया। इस आयोजन का मकसद डुशेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमडी) जैसी दुर्लभ आनुवांशिक बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाना और प्रभावित परिवारों को समर्थन प्रदान करना रहा। पीजीआई चंडीगढ़ की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रेनू सूथार (बाल तंत्रिका विभाग) ने ऑनलाइन व्याख्यान के माध्यम से डीएमडी के लक्षण, उपचार और प्रबंधन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि समय पर पहचान और उपचार से मरीजों की जीवन-गुणवत्ता में सुधार संभव है। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी वॉरियर्स की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, सामूहिक एंथम और माताओं के साथ किया गया विशेष रैम्प वॉक कार्यक्रम की खास झलक बने। इस रैम्प वॉक ने साहस, आत्मबल और समाज में समावेशन का सशक्त संदेश दिया।
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी ऑफ इंडिया की अध्यक्ष संजना गोयल और फिजियोथेरेपिस्ट सुनीता ने डीएमडी से जूझते परिवारों की चुनौतियों और सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। महासचिव विपुल गोयल ने कहा कि ऐसे आयोजन न केवल जागरूकता बढ़ाते हैं, बल्कि प्रभावित परिवारों को नई ऊर्जा और हौसला भी देते हैं। यह अवसर बच्चों और उनके परिजनों के लिए अनुभव साझा करने और समाज को एकजुटता का संदेश देने का
मंच बना।