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विमल नेगी मौत मामला : सीबीआई ने की पहली गिरफ्तारी

निलंबित एएसआई पंकज शर्मा गिरफ्तार, पेन ड्राइव से महत्वपूर्ण साक्ष्य नष्ट करने के आदेश देने वालों का होगा पर्दाफाश
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हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के पूर्व महाप्रबंधक और मुख्य अभियंता विमल नेगी की रहस्यमय मौत का मामला हिमाचल हाईकोर्ट द्वारा सीबीआई को सौंपे जाने के लगभग सोलह सप्ताह बाद सीबीआई ने रविवार को पहली गिरफ्तारी की। सीबीआई अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है।

जांच एजेंसी के अनुसार निलंबित एएसआई पंकज शर्मा को रविवार को गिरफ्तार कर लिया गया है और उसे सोमवार को रिमांड के लिए अदालत में पेश किया जाएगा।

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इसी साल 10 मार्च को शिमला से लापता हुए विमल नेगी का शव 18 मार्च को बिलासपुर जिले की गोविंद सागर झील से बरामद हुआ था। एएसआई पंकज शर्मा सबसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने उनकी पेन ड्राइव और अन्य दस्तावेज़ बरामद किए थे और उन पर सबूतों से छेड़छाड़ करने का आरोप लगा था।

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार विमल नेगी की मौत उनके शव मिलने से लगभग पांच दिन पहले हो गई थी। मृतक विमल नेगी की पत्नी किरण नेगी ने अपने पति की मौत की सीबीआई जांच की माँग करते हुए हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का रुख किया था और अदालत ने उनकी याचिका स्वीकार करते हुए 23 मई को मामला सीबीआई को सौंप दिया था।

सूत्रों ने बताया कि सीबीआई ने पंकज शर्मा से कई बार पूछताछ की। पूछताछ में कथित रूप से फॉर्मेट की गई पेन ड्राइव से कुछ महत्वपूर्ण डाटा डिलीट करने को लेकर सीबीआई ने पंकज शर्मा से पूछताछ की। लेकिन सीबीआई का आरोप है कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे। ऐसे में उन्हें आज एजेंसी ने गिरफ्तार कर लिया। विमल नेगी मौत मामले में पंकज शर्मा की गिरफ्तारी काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि इससे उन लोगों का पर्दाफाश हो सकता है जिन्होंने कथित तौर पर उसे महत्वपूर्ण सबूतों से छेड़छाड़ करने के लिए कहा था क्योंकि पंकज ने कथित तौर पर पेन ड्राइव अपने पास रखी थी।

विमल नेगी मौत मामले में सीबीआई ने आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया है और कई लोगों से पूछताछ की है। सीबीआई ने नेगी के परिवार के सदस्यों के बयान भी लिये हैं। मृतक विमल नेगी की पत्नी किरण नेगी का आरोप है कि उनके पति को पिछले छह महीनों से वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा था और वरिष्ठ अधिकारियों ने उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया था। उन्होंने कहा कि विमल नेगी को जानबूझकर बीमारी के दौरान भी देर रात तक काम के लिए मजबूर किया जाता था।

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