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फल मक्खी की दो नयी किस्मों का लगाया पता

नौणी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की खोज

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यशपाल कपूर/निस

सोलन, 6 जनवरी

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डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के शोधकर्ताओं ने हिमाचल प्रदेश में फल मक्खियों के लिए सर्वेक्षण अध्ययन के दौरान फल मक्खी (टेफ्रिटिडे) की दो नयी प्रजातियाें का पता लगाया है। प्रदेश में यह आने वाले समय में चिंता का संकेत कर रही है।

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मनीष पाल ने की खोज

डॉ. मनीष पाल सिंह के डॉक्टरेट अनुसंधान, जो विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ दिवेंद्र गुप्ता के मार्गदर्शन में काम कर रहे थे, के शोध कार्य के दौरान ये प्रजातियां पाई गईं। यूके स्थित फल मक्खी वर्गीकरण विशेषज्ञ डॉ. डेविड लॉरेंस हैनकॉक के लक्षण वर्णन और परामर्श के बाद, प्रजातियों को दुनिया के लिए नया घोषित किया गया। इन प्रजातियों का नाम बैक्ट्रॉसेरा प्रभाकरी और टेफ्राइटिस हिमालयी रखा गया। बी. प्रभाकरी मुख्य रूप से मध्य पहाड़ियों - सोलन और शिमला जिलों के कुछ हिस्सों में यह एक औषधीय पौधे, जिसे आमतौर पर डच एग प्लांट कहा जाता है, को संक्रमित करती है।

ऊंचे हिमालय पर मिलती है टी. हिमालयी

दूसरी प्रजाति टेफ्राइटिस हिमालयी या टी.हिमालयी राज्य की ऊंची और मध्य पहाडिय़ों में पाई जाती है, जो सर्कियम फाल्कोनेरी नामक एक कांटेदार खरपतवार पर प्रजनन करती है।

क्या कहा वीसी ने

इस विषय में जब नौणी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल से बात की तो उन्होंने कहा कि फल मक्खी फलों के लिए तो अच्छी नहीं है, लेकिन भविष्य में शोध का दायरा बढ़ा है। इससे फलों पर आने वाली चुनौतियों का भी पता चलेगा।

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