जीसी पठानिया/निस
धर्मशाला, 17 जून
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मुख्य सचिवों का 3 दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में चल रहा है। इस अवसर पर ‘फसल विविधीकरण और तिलहन, दलहन और अन्य कृषि-वस्तुओं में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने’ और ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-स्कूल शिक्षा के कार्यान्वयन’ पर विचार-विमर्श किया गया। ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव: रोड टू 2047’ और एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम पर सत्र थे जिसमें एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम की सफलता की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार को इन्हें भारत के ‘प्रेरणादायक जिले’ बनाने का प्रयास करना चाहिए और इस कार्यक्रम को ब्लॉक और शहर के स्तर तक विस्तारित करना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत के सर्वश्रेष्ठ, युवा अधिकारियों को उनकी रचनात्मक सोच और नए विचारों के माध्यम से ध्यान देने योग्य परिवर्तन लाने के लिए आकांक्षी जिलों में तैनात किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन जिलों में काम करते हुए उन्हें जो अनुभव और सीख मिली है, वह अद्वितीय होगी और पूरे देश के लिए उपयोगी साबित होगी। शिक्षा पर प्रधानमंत्री ने कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर और मोबाइल ऐप सीखकर शिक्षकों के प्रशिक्षण को मजबूत किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पुरस्कार विजेता सेवानिवृत्त स्कूल शिक्षकों को भी स्कूलों में आने और शिक्षकों को प्रशिक्षण देने के लिए लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए एक समर्पित टीवी चैनल हो सकता है।
प्रधानमंत्री ने क्षेत्रीय भाषाओं में नाटक, एनीमेशन, मोनो-एक्टिंग आदि जैसे विभिन्न माध्यमों में गुणवत्तापूर्ण सामग्री तैयार करने के लिए राज्यों में युवा उद्यमियों, स्टार्ट अप और युवाओं के बीच प्रतियोगिताओं का आयोजन करने का सुझाव दिया जिसमें सर्वश्रेष्ठ कंटेंट क्रिएटर्स को पुरस्कृत किया जाएगा। सचिव (वित्त और व्यय) ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा सुदृढ़ वित्तीय प्रबंधन की आवश्यकता पर एक संवाद सत्र आयोजित किया। उन्होंने योजनाओं और स्वायत्त निकायों के युक्तिकरण और राजस्व घाटे को कम करने के उपायों की आवश्यकता पर बात की।