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शिपकी-ला दर्रे के माध्यम से व्यापार बहाली जल्द

भारत और चीन के बीच वर्षों से बंद पड़ा सीमा व्यापार अब एक बार फिर शुरू होने जा रहा है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के प्रयासों और केंद्र सरकार के सहयोग से शिपकी-ला दर्रे के माध्यम से व्यापार बहाली की...
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भारत और चीन के बीच वर्षों से बंद पड़ा सीमा व्यापार अब एक बार फिर शुरू होने जा रहा है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के प्रयासों और केंद्र सरकार के सहयोग से शिपकी-ला दर्रे के माध्यम से व्यापार बहाली की राह खुल गई है।

यह दर्रा हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित है और ऐतिहासिक सिल्क रूट का हिस्सा रहा है। मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर प्राथमिकता देने के लिए केंद्र सरकार का आभार जताया है। गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच कोविड.19 महामारी के कारण 2020 से सीमा व्यापार बंद था। अब दोनों देशों ने लिपुलेख (उत्तराखंड), नाथू ला (सिक्किम) और शिपकी.ला (हिमाचल) जैसे तीन पुराने व्यापार बिंदुओं से व्यापार दोबारा शुरू करने पर सहमति जताई है।

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साथ ही, कैलाश मानसरोवर यात्रा को भी 2026 से फिर से शुरू करने और इसके विस्तार पर सहमति बनी है। मुख्यमंत्री ने लंबे समय से शिपकी ला के माध्यम से व्यापार बहाल करने की मांग की थी।

उन्होंने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर भारत-तिब्बत के ऐतिहासिक व्यापार मार्ग को फिर से खोलने का आग्रह किया था। केंद्र सरकार ने इस मांग को गंभीरता से लेते हुए चीन के समक्ष मुद्दा उठाया। हाल ही में भारत दौरे पर आए चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर के साथ द्विपक्षीय बैठक में इस मुद्दे पर सहमति दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिपकी-ला दर्रा न केवल व्यापार के लिहाज से बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से भी बेहद अहम है।

उन्होंने यह भी बताया कि यह मार्ग कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए तिब्बत की ओर से सबसे छोटा और व्यावहारिक रास्ता है। राज्य सरकार अब केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के साथ मिलकर व्यापार पुन: शुरू करने की कानूनी प्रक्रियाएं पूरी करेगी।

मुख्यमंत्री ने इस ऐतिहासिक पहल को हिमाचल प्रदेश के लिए एक बड़ा अवसर बताया और उम्मीद जताई कि इससे पर्यटन, व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों को नई ऊर्जा मिलेगी।

कैलास मानसरोवर यात्रा होगी सुगम

शिपकी ला के रास्ते व्यापार शुरू होने से कैलास मानसरोवर यात्रा भी सुगम होगी। यह यात्रा का छोटा रास्ता होगा। शिपकी ला पुराने सिल्क रूट का हिस्सा है। इस रास्ते उत्तर भारत के व्यापारी ही नहीं बल्कि एशिया के कई मुल्कों को कारोबारी तिब्बत व चीन के साथ व्यापार करते थे। भारत से मसाले, कृषि उत्पाद व कपड़े चीन व तिब्बत पहुंचते थे, चीन व तिब्बत से याक के उत्पादों के साथ साथ रेशम व ऊनी उत्पाद व्यापारी लेकर आते थे। रामपुर के अंतर्रष्ट्रीय कारोबारी मेले लवी में भी शताब्दियों तक शिपकी ला से चीन व तिब्बत के कारोबारी पहुंचते थे।

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