धर्मशाला, 1 जनवरी (निस)
चीन के तिब्बत पर कब्जे के बाद 6 दशक पूर्व तिब्बत छोड़ने को मजबूर हुए तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा को उस दौरान भारत की सीमा पर सुरक्षा देने वाले पूर्व असम राइफल्स के हवलदार नरेन चंद्र दास के निधन पर निर्वासित तिब्बती संसद के अध्यक्ष खेंपो सोनम तेनफेल ने शोक व्यक्त किया है। उन्होंने दिवंगत नरेन चंद्र दास के परिवार के सदस्यों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है।
दास के परिजनों को लिखे शोक पत्र में उन्होंने कहा कि आपके पिता नरेन चंद्र दास के निधन की खबर सुनकर काफी दुख हुआ। उन्होंने लिखा कि निर्वासित 17वीं तिब्बती संसद और दुनिया भर में रह रहे तिब्बतियों की ओर से आपके परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। उन्होंने लिखा कि अप्रैल 2018 में नरेन चंद्र दास और दलाई लामा के बीच गुवाहाटी में एक भावनात्मक मुलाकात हुई थी। इस दौरान जहां उन्होंने 1959 की मुठभेड़ को याद करते हुए क्षण साझा किए थे। धर्मगुरु के प्रति उनकी सेवा के लिए हम आभार और सम्मान करते हैं।
गौर हो कि तिब्बत पर चीन के कब्जे के बाद वर्ष 1959 में बिगड़े हालात के चलते धर्मगुरु सहित अन्य तिब्बतियों को रातोंरात ल्हासा छोड़ना पड़ा था। जंगल और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों का सामना करने के बाद धर्मगुरु ने अपने साथियों के साथ तिब्बत के साथ लगने वाली असम की सीमा से होते हुए भारत में प्रवेश किया था।